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    Navratri 2022: लखनऊ का ऐत‍िहास‍िक छोटी काली मंदिर, कुएं से न‍िकली थी मां की प्रत‍िमा; 400 साल पुराना है इत‍िहास

    By JagranEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Tue, 27 Sep 2022 04:53 PM (IST)

    Navratri 2022 लखनऊ के छोटी काली मंदिर के पास शारदीय और चैत्र नवरात्र दोनों में ही बड़ा मेला लगता है। राजधानी में देवी जागरण के लिए श्रद्धालु यहींं से ज्योति लेकर जाते हैं। यहां आसपास के ज‍िलों से भी काफी संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं।

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    Navratri 2022: छोटी काली जी मंदिर से देवी जागरण के लिए ज्याेति ले जाते हैं श्रद्धालु।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता। Navratri 2022 वैसे तो मां का हर मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है, लेकिन हर मंदिर की अपनी मान्यता उसे अगल दर्जा देता है। चौक में चूड़ी वाली गली की लंबी ढलान खत्म होने के बाद आखिरी छोर पर जैन मंदिर के सामने वाली सड़क पर छोटी काली मंदिर का ऐतिहासिक मंदिर स्थापित है।

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    शहर का दूसरा सबसे प्राचीन मंद‍िर

    बड़ी काली जी मंदिर के बाद यह शहर का दूसरा सबसे प्राचीन मंदिर छोटी काली जी है। करीब 400 साल पुराने मंदिर में मां काली जी की स्थापित प्रतिमा मंदिर परिसर में ही स्थित एक पुराने कुएं से निकली गई थी जिसे यहां स्थापित किया गया है। मंदिर में काली जी के साथ ही श्रीराम दरबार, श्रीराधाकृष्ण, शिवाला, श्री गणेश जी कई प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं के निर्माण की जीवंत शैली समृद्ध कला का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करता है। नवरात्र में राजधानी ही नहीं आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

    शारदीय और चैत्र नवरात्र दोनों में ही लगता है मेला

    छोटी काली मंदिर के पास शारदीय और चैत्र नवरात्र दोनों में मेला लगता है। देवी जागरण के लिए श्रद्धालु यहीं से ज्योति लेकर आयोजन स्थल तक जाते हैं। यहां जलने वाली ज्याेति कभी बुझती नहीं है। मंदिर स्थापना से लेकर अब तक ज्योति ले जाने की परंपरा कायम है। चौक में चूड़ी वाली गली की लंबी ढलान खत्म होने के बाद आखिरी छोर पर जैन मंदिर के सामने वाली सड़क पर छोटी काली जी का प्राचीन मंदिर है। नवरात्र में मंदिर सुबह 4:30 बजे खुल जाता है और मध्यरात्रि 12 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए लगातार खुला रहता है।

    श्रद्धालुओं के ल‍िए व‍िशेष व्‍यवस्‍था 

    मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। मंदिर परिसर में भीड़ न लगाने और कतारोंं में खड़े होकर दर्शन की व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में दर्शन के लिए महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग लाइन लगाने की व्यवस्था है।  -रामचंदर शुक्ला-व्यवस्थापक

    हर द‍िन क‍िया जाता है अलग श्रृंगार

    मां का हर दिन अलग-अलग रंगों के पुष्पों से श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में चढ़ने वाली चुनरी नवमी के दिन कन्याओं को दान करने की परंपरा है। अष्टमी और नवमी पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होने पर दर्शन की अलग से व्यस्था की जाती है। मंदिर को झालरों से सजाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में जाने के बजाय पुजारी प्रसाद चढ़ाते हैं।    -विजय प्रकाश द्विवेदी-सेवादार