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    Natural medicine Neem Giloy: जारी है लड़ाई... नीम के पेड़ों पर शुरू की गिलोय की चढ़ाई

    रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर प्राकृतिक औषधि नीम गिलोय को जनसुलभ बनाने के लिए लखनऊवासियों ने छेड़ा अभियान। संक्रमण के पांव पसारने के साथ तेजी से बढ़ी नीम गिलोय की मांग।

    By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 15 Jul 2020 10:27 AM (IST)
    Natural medicine Neem Giloy: जारी है लड़ाई... नीम के पेड़ों पर शुरू की गिलोय की चढ़ाई

    लखनऊ, (दुर्गा शर्मा)। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक नीम गिलोय औषधि की इन दिनों बहुत मांग है। इसे जनसुलभ बनाने को यह महाअभियान शुरू हुआ है लखनऊ में। गिलोय को शहर अधिक से अधिक नीम के पेड़ों पर फैला रहे हैं। लक्ष्य है शहर में मौजूद गुणकारी नीम के प्रत्येक वृक्ष को गिलोय की बेल से लकदक करने का। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक प्रकृति की यह नेमत पहुंच सके।

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    जिस गिलोय को लोग पूछते नहीं थे, पहचानते नहीं थे, उसकी मांग तेजी से बढ़ी तो कभी मुफ्त में मिलने वाली यह औषधि पेड़ों से गायब होकर दुकानों में जा पहुंची। इस मुश्किल को हल करने का आइडिया वन मिलियन ट्री प्रकल्प शुरू करने वाले लखनऊ के पर्यावरण प्रेमी विशाल के दिमाग में आया। वे नगर निगम के कुछ पार्कों का जनसहभागिता आधारित अनुरक्षण कर रहे हैं। पार्कों की समितियों के साथ वाट्सएप समूह तैयार किया है, जिस पर कई लोगों, विशेषकर बुजुर्गों ने गिलोय की पूछ-परख शुरू की, तो पता चला कि इसकी बहुत मांग है। विशाल यह औषधि उन तक पहुंचाने लगे। लेकिन संक्रमण बढऩे के साथ ही यह मांग काफी बढ़ गई, क्योंकि सामान्य की अपेक्षा नीम के गुण वाली गिलोय मिलना आसान नहीं है। वे हल तलाश ही रहे थे कि एक जून को नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी एल्डिको रायबरेली रोड में निरीक्षण को पहुंचे तो वहां गिलोय बहुतायत में बबूल के पेड़ों पर दिखी। विशाल कहते हैं, हमें जैसे गिलोय का खजाना मिल गया।

    पर्यावरण दिवस पर इस गिलोय को नीम के पेड़ों पर चढ़ाने का अभियान छेड़ दिया। पांच जून से शुरू इस अभियान में अब तक साउथ सिटी, रश्मि खंड, एल्डिको, रायबरेली रोड, एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड के पार्कों में दो सौ के करीब नीम के पेड़ों पर गिलोय की बेल को चढ़ा चुके हैं। अभियान के तहत लखनऊ के लगभग 40 प्रतिशत नीम के पेड़ों पर गिलोय चढ़ाई जाएगी। जुलाई के आखिरी सप्ताह तक काम चलेगा। शहर में अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों से संपर्क भी किया जा रहा है

    स्वस्थ रहने का मंत्र...

    घर के आंगन में तुलसी, दरवाजे पर नीम, अगर नीम पर गिलोय चढ़ी हो तो और भी बेहतर, रसोई में हल्दी... जमाने से ये हमारी लोकल फार्मेसी रही है। औषधीय गुणों से युक्त पेड़-पौधों का संग स्वस्थ रहने का मंत्र भी है। गिलोय में इम्यूनो मोडयूलेटर व एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो खतरनाक रोगों से लड़कर शरीर को सेहतमंद रखता है। इसकी प्रकृति ज्वरनाशक है। वहीं, नीम में भी तमाम औषधीय गुण होते हैं। कुछ स्टडी हुई हैं, जिसमें नीम गिलोय को ज्यादा फायदेमंद पाया गया है, लेकिन इसका सहजीवी या परजीवी होने का कोई साक्ष्य नहीं है। स्टडी में ये नहीं निकला है कि ये एक दूसरे से किसी तरह का कोई पोषक तत्व लेते हैं। गिलोय और नीम के साथ में मिल जाने से ज्यादा लाभ होता है। मौसमी बुखार में तुलसी व काली मिर्च आदि के साथ नीम गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने पर काफी लाभ होता है।- डॉ. संजीव ओझा, वैज्ञानिक, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान।

    बढ़ाते हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता

    गिलोय वात, पित्त और कफ को ठीक करती है। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी कारगर है। सभी प्रकार के ज्वर और सर्दी जुकाम में लाभदायक है। इसके औषधीय गुण पाचन तंत्र, ब्लड शुगर को भी नियंत्रित रखते हैं। नीम का हर भाग एंटी बैक्टीरियल होता है। हमारा मुंह तमाम रोगों का कारण बनता है, इसीलिए नीम का दातून बेहतर है। ये मुंह के तमाम बैक्टीरिया का नाश करता है। अगर आपको गिलोय की बेल नहीं मिल रही, तो बाजार में इसकी टैबलेट भी मौजूद है। - डॉ. शिव शंकर त्रिपाठी, पूर्व आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, राजभवन