स्वदेशी मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू का लखनऊ में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कैंप, चार जून को पंचकूला में प्रतियोगिता
पंचकूला में चार जून से होने वाली खेलो इंडिया में स्वदेशी मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू की प्रदेश की टीम के चयन व प्रशिक्षण के लिए लखनऊ के चौक स्टेडियम में तीन दिवसीय कैंप आयोजित किया गया है। कैंप का उद्घाटन पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने किया।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। हाथों में चमकती तलवार, कमर में लाल पटका और सफेद धोती पहने चार से पांच फीट की छलांग लगाते जब अन्नास्वरा मुरलीधरन, कीर्थना कृष्ण, लक्ष्मी और जवन मैट पर पहुंचे तो उत्साह का आंगन आश्चर्य से भर गया। जैसे-जैसे इन खिलाड़ियों ने अपना कौशल दिखाना शुरू किया, आंखों के सामने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का चित्र बनता चला गया। पंचकूला में चार जून से होने वाली खेलो इंडिया में स्वदेशी मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू की प्रदेश की टीम के चयन व प्रशिक्षण के लिए लखनऊ के चौक स्टेडियम में तीन दिवसीय कैंप आयोजित किया गया है। शनिवार को कैंप का उद्घाटन पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने किया।
पहले दिन केरल से आए कलारीपयट्टू प्रशिक्षक व प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा तलवारबाजी, लाठी चुआत मेपयाडू हाइकिक, उर्मी (टिन की पत्ती से बनी तलवार) जैसी पारंपरिक विधाओं का प्रदर्शन किया गया। 23 मई को यूपी टीम की घोषणा की जाएगी। शिविर में केरल के प्रशिक्षक श्रीजयन, राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता अन्नास्वर, श्रीलक्ष्मी कीचना कृष्ण प्रदेश की टीम को तैयार कर रहे हैं। वहीं, गोंडा निवासी राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता इमरान और अयूब लाठी चलाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसमें प्रदेश के 19 जिलों से करीब ढाई सौ खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान भाजापा नेता अपणां यादव, कलारीपयट्टू एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग मिश्रा, सीईओ प्रवीण उपस्थित थे।
प्रदेश में कलारीपयट्टू के कोच न के बराबर: इमरान
प्रशिक्षक इमरान कहते हैं कि वर्ष 2015 में कलारीपयडू सीखने के लिए केरल गया। चार साल डा. क्यजू गुरुकुल से प्रशिक्षण प्राप्त कर यूपी आया और अब यहां के लोगों को निश्शुल्क कलारीपयट्टू की ट्रेनिंग दे रहा हूं। प्रदेश में इसके कोच न के बराबर हैं। इमरान कहते हैं कि कम उम्र में अगर बच्चे को सही से ढाला जाए तो वह कलारीपयट्टू में महारत हासिल कर सकता है।
सबसे पुरानी मार्शल आर्ट तकनीक : कलारीपयट्टु को दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट तकनीक माना जाता है। इसकी उत्पत्ति केरल में हुई। यह विश्व की पुरानी युद्ध कलाओं में से एक है। इसे सीखने वाला न सिर्फ एक प्रबल योद्धा बनता है, बल्कि मर्मा उपचार में भी निपुण हो जाता है।
सात वर्ष में शुरू हो जाता है प्रशिक्षण : प्रशिक्षक श्रीजयन ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि इसका अभ्यास कलरी में किया जाता है, जिसे आम भाषा में अखाड़ा कहा जा सकता है। कलरी प्रशिक्षण आमतौर पर सात वर्ष की आयु से शुरू हो जाता है। उत्तर प्रदेश के बहुत से लाग केरल आकर कलारीपयट्टू का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। हाल ही में गोंडा के इमरान ने चार वर्ष वहां रहकर प्रशिक्षण लिया है। अब धीर-धीरे उत्तर प्रदेश में भी इस खेल को बढ़ावा मिल रहा है।
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