National Family Health Survey Of UP : कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी, बच्चों के नाटेपन में कमी
National Family Health Survey Of UP जिलों को एक जुलाई से 30 सितंबर तक चलने वाले संभव अभियान पांच के सफल क्रियान्वयन के लिए निर्देशित किए हैं। इस बार संभव अभियान पांच की थीम ‘छह माह से कम आयु के शिशुओं में कुपोषण की रोकथाम एवं प्रबंधन’ तय किया गया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: सतत विकास लक्ष्य वर्ष 2030 तक कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी लाने के प्रयासों में सकारात्मक सफलता मिलने लगी है। बच्चों में उम्र के लिहाज से नाटेपन की दर में कमी आई है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण चार में प्रदेश के 46.3 प्रतिशत बच्चे नाटे (आयु के सापेक्ष लंबाई) पाए गए थे, जबकि राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच में नाटेपन का प्रतिशत घटकर 39.7 प्रतिशत रह गई है।
बच्चों के दुबलेपन में कोई खास उपलब्धि नहीं हासिल हुई है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण चार में दुबलेपन की दर 17.9 प्रतिशत थी जो राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच में महज 17.3 प्रतिशत ही हो पाई है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी तथा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिलों को एक जुलाई से 30 सितंबर तक चलने वाले संभव अभियान पांच के सफल क्रियान्वयन के लिए निर्देशित किए हैं। इस बार संभव अभियान पांच की थीम ‘छह माह से कम आयु के शिशुओं में कुपोषण की रोकथाम एवं प्रबंधन’ तय किया गया है। अभियान में कम वजन में जन्मे शिशुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अभियान का उद्देश्य राज्य में गंभीर कुपोषण से ग्रसित शिशुओं की समय से पहचान करना और समुचित उपचार का प्रबंधन करना है। छह माह से कम आयु के शिशुओं का पोषण प्रबंधन किया जाएगा।
सतत विकास लक्ष्य-दो का मुख्य उद्देश्य राज्य में 2030 कर कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी लाना है। जिसके तहत पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में नाटेपन की दर में 40 प्रतिशत तक कमी तथा दुबलापन की दर को पांच प्रतिशत से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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