Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Global Appreciation of Namami Gange: स्टॉकहोम वर्ल्ड वॉटर वीक में भारत का बढ़ा मान, नदी संरक्षण के लिए ‘नमामि गंगे’ को दुनिया ने सराहा

    Global Appreciation of Namami Gangeगंगा नदी के विस्तृत प्रवाह वाले प्रदेश के रूप में उत्तर प्रदेश नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रमुख केंद्र रहा है। वाराणसी में रिवरफ्रंट विकास कानपुर में सीवेज शोधन संयंत्रों की स्थापना तथा छोटे एवं मझौले नगरों में सामुदायिक भागीदारी आधारित पहलें इस अभियान को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही हैं।

    By Dharmendra Pandey Edited By: Dharmendra Pandey Updated: Wed, 27 Aug 2025 06:07 PM (IST)
    Hero Image
    स्टॉकहोम वर्ल्ड वॉटर वीक में भारत का बढ़ा मान, नदी संरक्षण के लिए ‘नमामि गंगे’ को दुनिया ने सराहा

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में नदी संरक्षण के लिए ‘नमामि गंगे’ को दुनिया की सराहना से भारत का मान बढ़ा है। स्टॉकहोम वर्ल्ड वॉटर वीक में इसकी भागीदारी भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर करती है, जो जल संबंधी वैश्विक चुनौतियों के समाधान में अहम योगदान दे रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गंगा नदी के विस्तृत प्रवाह वाले प्रदेश के रूप में उत्तर प्रदेश नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रमुख केंद्र रहा है। वाराणसी में रिवरफ्रंट विकास, कानपुर में सीवेज शोधन संयंत्रों की स्थापना तथा छोटे एवं मझौले नगरों में सामुदायिक भागीदारी आधारित पहलें इस अभियान को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही हैं।

    'नमामि गंगे' पहल आदर्श उदाहरण

    सम्मेलन में विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की समस्याओं का हल केवल नदी-बेसिनों के संरक्षण और प्रबंधन में ही छुपा है। इस संदर्भ में भारत की 'नमामि गंगे' पहल को आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसे अन्य देशों के लिए अनुकरणीय माना गया। प्रदूषण नियंत्रण, जैविक खेती, आर्द्रभूमि संरक्षण और जलवायु-स्मार्ट शहरी विकास जैसे कदमों ने इस मिशन को वैश्विक स्तर पर प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का केंद्र बिंदु बना ‘नदी शहरों की पुनर्कल्पना: जलवायु-संवेदी और बेसिन-केंद्रित शहरी विकास", जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (NIUA) और जर्मन विकास सहयोग (GIZ) ने मिलकर नेतृत्व किया। इस सत्र में विशेषज्ञों ने जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की चुनौतियों के बीच, नदी-केंद्रित विकास ही शहरों को टिकाऊ और सुरक्षित बना सकता है।

    ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की नींव

    राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नमामि गंगे मिशन ने भारत में नदियों के पुनरुद्धार के लिए एक ऐतिहासिक नीतिगत बदलाव की नींव रखी है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के तहत अब तक 40 हजार करोड़ रुपये का भारी निवेश किया जा चुका है, जो गंगा और उसकी सहायक नदियों को उनके प्राचीन रूप में पुनः स्थापित करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन एक जीवित उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि जब आधुनिक तकनीक और नवाचार का संगम होता है, तो नदियों को पुनः जीवनदायिनी बनाने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

    विशाल जन आंदोलन में बदला गया

    उन्होंने बताया कि मिशन के अंतर्गत की गई पहलें, जैसे हाइब्रिड एनीटी मॉडल आधारित एसटीपी, सोलर पावर्ड ट्रीटमेंट प्लांट और मृदा जैव प्रौद्योगिकी, वैश्विक मानकों को स्थापित करने में योगदान दे रही हैं। मित्तल ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस कार्यक्रम को एक विशाल जन आंदोलन में बदला गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। वैश्विक सहयोगों की अहमियत को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व बैंक, जीआईजेड, सी-गंगा, नीदरलैंड्स और डेनमार्क का सहयोग नदी विज्ञान, जल सुरक्षा और प्रबंधन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    नदी-बेसिनों के सक्रिय संरक्षक के रूप में कार्य

    विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है जब शहरों को केवल उपभोक्ता के रूप में नहीं, बल्कि नदी-बेसिनों के सक्रिय संरक्षक के रूप में कार्य करना होगा। जलवायु परिवर्तन के दौर में नदियों का संरक्षण अनिवार्य बन चुका है और इसके लिए नदी-केंद्रित शहरी विकास को अपनाना होगा। सत्र के समापन में यह महत्वपूर्ण संदेश सामने आया – जब शहर मिलकर काम करेंगे और सीमा पार सोचेंगे, तो नदियों को बचाया जा सकता है और उन्हें समृद्ध भी किया जा सकता है। यही स्थिरता और समृद्धि का वास्तविक आधार होगा, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करेगा। नदियां और जल संसाधन सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इनका पुनर्जीवन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। नदी पुनर्जीवन और जल संरक्षण में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की अग्रणी पहलों ने इसे वैश्विक जल संवाद में एक प्रमुख आवाज बना दिया है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल वॉटर इंस्टीट्यूट ने 1991 से आयोजित इस प्रतिष्ठित आयोजन को इस वर्ष वैश्विक नीति निर्धारकों, वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए सबसे प्रभावशाली मंच बनाया है।