Move to Jagran APP

सतीश चंद्र मिश्रा के बेहद करीबी बसपा नेता नकुल दुबे का पार्टी से मोहभंग, कांग्रेस में शामिल

BSP Leader Nakul Dubey Joins Congress नकुल दुबे उत्तर प्रदेश की सियासत में एक ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। 2007 में लखनऊ के महोना से विधायक चुने जाने के बाद नकुल दुबे को मायावती ने कैबिनेट मंत्री बनाया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 05:34 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 05:34 PM (IST)
सतीश चंद्र मिश्रा के बेहद करीबी बसपा नेता नकुल दुबे का पार्टी से मोहभंग, कांग्रेस में शामिल
Nakul Dubey Joins Congress : नकुल दुबे उत्तर प्रदेश की सियासत में एक ब्राह्मण चेहरा

लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के बेहद करीबी माने जाने वाले नकुल दुबे का पार्टी से मोहभंग हो गया है। मायावती की सरकार में 2027 से लेकर 2012 तक कैबिनेट मंत्री रहे नकुल दुबे ने गुरुवार को नई दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ले ली। उनको कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज नई दिल्ली में कांग्रेस में शामिल कराया।

loksabha election banner

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट रहे नकुल दुबे के बसपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस ने ट्वीट किया है, आपका कांग्रेस पार्टी में स्वागत है। हम मिलकर प्रदेश के हित की लड़ाई लड़ेगे। जय हिंद।

माना जा रहा है कि कांग्रेस नकुल दुबे को ब्राह्मण चेहरा बनाने जा रही है। नकुल दुबे ने इस दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश के कई बड़े नेता, मशहूर हस्तियां जल्द कांग्रेस का हाथ थामेंगे। कांग्रेस 2024 की तैयारियों के साथ उत्तर प्रदेश में एक मजबूत विकल्प के रूप में उतरेगी।

नकुल दुबे उत्तर प्रदेश की सियासत में एक ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। 2007 में लखनऊ के महोना से विधायक चुने जाने के बाद नकुल दुबे को मायावती ने कैबिनेट मंत्री बनाया था। पेशे से अधिवक्ता नकुल दुबे की को मायावती ने बीते दिनों पार्टी से बाहर कर दिया था। उनकी उत्तर प्रदेश के प्रबुद्ध जनों के बीच गहरी पैठ है।

नकुल दुबे ने कुछ दिन पहले ही नई दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से भेंट की थी। इसके बाद गुरुवार को नकुल दुबे ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। जन उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली, उस दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला भी मौजूद थे।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले नकुल दुबे ने 2007 में बसपा भाईचारा कमेटियों का संयोजन कर मायावती को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2007 में प्रदेश में ब्राह्मण- दलित गठजोड़ के चलते सत्ता पर काबिज हुई थीं।

नकुल दुबे के बाद बहुत जल्द यूपी की सियासत के कई अहम नाम कांग्रेस का दामन थामने जा रहे हैं। सपा और बसपा के कई बड़े नेता जल्द ही कांग्रेस के झंडे के नीचे नजर आएंगे।

कांग्रेस में आते ही नकुल दुबे के कद पर होने लगी चर्चा : वकालत से राजनीति में आए पूर्व मंत्री नकुल दुबे अब कांग्रेसी हो गए हैं। 2002 में नकुल ने बसपा से अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था और सरकार में मंत्री भी रहे थे। ब्राह्मण चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले नकुल दुबे ने बसपा के लिए ब्राह्मण भाई चारा समिति बनाकर काम किया था। 2007 में बसपा दलित- ब्राह्मण गठबंधन से सत्ता में पहुंच गई थी। बसपा महासचिव सतीश मिश्र ने नकुल को राजनीति की राह दिखाई थी।

बसपा से नाता तोड़ चुके पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने आज कांग्रेस की राह पकड़ी तो चर्चाओं का दौर चालू हो गया। प्रदेश कांग्रेस में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें लखनऊ से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा होने लगी है। वह पहले भी बसपा से लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़े थे।

बसपा सुप्रीमों मायावती ने सोलह अप्रैल को पूर्व मंत्री नकुल दुबे को पार्टी से निकाल दिया था। बसपा ने नकुल दुबे पर अनुशासनहीनता अपनाने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था। नकुल दुबे ने कहा कि शाम को निष्कासित किया गया था और दोपहर में ही वह पार्टी को अपना त्याग पत्र भेज चुके थे। बसपा से निकाले जाने पर नकुल ने कहा था कि वह बसपा में पूरी तरह से सक्रिय थे और विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद, नोएडा, गाजीपुर बलिया समेत जिलों में बसपा उम्मीदवारों का प्रचार करने भी गए थे लेकिन किसे रखना है और किसे नहीं रखना है, यह तो पार्टी को ही तय करना होता है।

सतीश चंद्र मिश्रा के बेहद खास: बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के खास नकुल दुबे को बसपा ने 2007 के विधानसभा चुनाव में महोना सीट से उतारा था और नकुल दुबे जीत गए थे। 2007 में मायावती सरकार बनी और उन्हें नगर विकास विभाग जैसा बड़ा विभाग भी दिया गया था लेकिन 2012 और 2017 के चुनाव में वह हार गए थे। तब परिसीमन के बाद उन्हें बक्शी का तालाब सीट से चुनाव लडऩा पड़ा था। 2014 में वह लखनऊ से बसपा के टिकट से सांसद का चुनाव लड़े लेकिन तीसरे नंबर पर रहना पड़ा था तो 2019 में सीतापुर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन वहां पर हार ही हाथ लगी थी।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.