CAA Protest in Lucknow : पुलिस के साथ विरोध थामने उतरा नदवा कॉलेज प्रशासन, कमेटी गठित
लखनऊ हालात काबू में करने को मैनेजमेंट ने हुआ सक्रिय। कमेटी भी गठित आरोपित छात्रों की करेगी पहचान।
लखनऊ, जेएनएन। तालीम देने वाले नदवा कॉलेज के शिक्षकों ने छात्रों के प्रदर्शन को नियंत्रित करने में पुलिस के साथ अहम भूमिका निभाई। शिक्षकों ने भी प्रदर्शनकारी छात्रों को नदवा के भीतर करने में कड़ी मशक्कत की। यहां तक नदवा के प्राचार्य मौलाना सैदुर्रहमान नदवी को खुद बाहर आना पड़ा।
नदवा के शिक्षकों ने गेट बंद होने के बाद छात्रों को पुलिस के एनाउंसमेंट सिस्टम से समझाने का भी प्रयास किया। स्थिति सामान्य होते ही आइजी एसके भगत, डीएम अभिषेक प्रकाश और एसएसपी कलानिधि नैथानी से आगे की रणनीति तय करने उप प्राचार्य मौलाना अब्दुल अजीज भटकली बाहर आए। केवल 15 मिनट की मुलाकात में ही नदवा कॉलेज प्रशासन ने अवकाश देने पर सहमति जता दी। इतना ही नहीं आइजी ने जब आरोपित छात्रों पर कार्रवाई करने की बात कही, तब उप प्राचार्य ने बिना देर के ही एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया। यह कमेटी खुद आरोपित छात्रों की पहचान कर उनको पुलिस को सौंपेगी। एहतियात के तौर पर छात्रों से हॉस्टल भी खाली कराकर उनको घर भेज दिया गया।
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दुनियाभर में है नदवा का नाम
तालीम के साथ आपसी मुहब्बत का पैगाम देने के लिए वर्ष 1904 में नदवातुल उलमा की स्थापना की गई थी। करीब 115 वर्ष के इतिहास में पहली बार इल्म का मरकज कहलाने वाले नदवतुल उलमा (नदवा कॉलेज) के सैकड़ों छात्र सड़क पर उतरे। दुनियाभर में नदवा कॉलेज का नाम है। यही वजह है कि हिंदुस्तान ही नहीं, थाईलैंड, मलेशिया व नेपाल सहित कई मुल्कों से छात्र यहां इल्म हासिल करने आते हैं। नदवा में इस समय करीब चार हजार छात्र हैं, जो यहां रहकर पढ़ाई करते हैं। यहां की लाइब्रेरी में दो लाख से अधिक किताबों का जखीरा है, इसमें से कई नायाब है। नदवा के नाजिम मौलाना राबे हसनी नदवी हैं, जो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष है। जबकि, मौलाना सईदुर्रहमान आजमी नदवी प्राचार्य हैं, जो इंटीग्रल विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। नदवा कॉलेज की मान्यता दारुल उलूम देवबंद के बराबर ही है। इन दोनों ही शैक्षिक संस्थानों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की आवाज बुलंद की थी।
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अपनी बात रखें, पर अमन के साथ
- शिया मरकजी चांद कमेटी की अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि देश का संविधान नागरिकों को प्रदर्शन करने का अधिकार देता है, लेकिन शांतिपूर्वक तरीके से। युवाओं को बेशक अपनी बात रखनी चाहिए, पर अमन के साथ। युवा जज्बात में न आए और मर्यादित रहकर आवाज उठाएं।
- बज्म-ए-ख्वातीन अध्यक्ष शहनाज सिदरत ने कहा कि पहली बार नदवा के छात्रों ने ऐसा प्रदर्शन किया है। कुछ लोग मुस्लिम युवाओं को भड़काने का काम कर रहे हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हम सभी को अमन बनाए रखना होगा।
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लोकतांत्रिक तरीके से हो प्रदर्शन
मुस्लिम कारसेवक मंच के अध्यक्ष कुंवर मोहम्मद आजम खान ने कहा कि हिंदुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन होना चाहिए। जो लोग हिंसक तरीके से प्रदर्शन कर किसी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।