साल में एक बार जरूर खाएं फाइलेरिया से बचाव की दवा, जानें-इस घातक बीमारी के लक्षण
फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। इसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। मच्छर जब किसी फाइलेरिया के मरीज को काटकर किसी दूसरे व्यक्ति को काट ले तो दूसरा व्यक्ति भी फाइलेरिया की जद में आ सकता है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। इसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। मच्छर जब किसी फाइलेरिया के मरीज को काटकर किसी दूसरे व्यक्ति को काट ले तो दूसरा व्यक्ति भी फाइलेरिया की जद में आ सकता है। फाइलेरिया अभियान पर आयोजित कार्यशाला में सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि फाइलेरिया की बीमारी में लिम्फ नोड में सूजन की वजह से इससे हाथ, पैरों में सूजन आ जाती है।
फाइलेरिया के लक्षणः आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया पर वार 22 से अभियान चलेगा। अभियान सात दिसंबर तक चलेगा। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाएंगी।
डिप्टी सीएमओ डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया कि दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती व गंभीर मरीज के अलावा अन्य लोग दवा को खा सकते हैं। फाइलेरिया अभियान के लिए जिले को 19 इकाइयों में बांटा गया है। 11 ग्रामीण व आठ शहरी क्षेत्र शामिल हैं। कुल 3673 टीमें बनाई गई हैं। यह टीमें लोगों को अपने सामने दवा खिलाएंगी। प्रत्येक टीम एक दिन में 25 घर जाएगी। अभियान की निगरानी के लिए 753 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. तनुज ने कहा फाइलेरिया से बचाव के लिए हर साल एक बार दवा का सेवन जरूर करना चाहिए। इस प्रक्रिया का पांच साल तक पालन करना है। कार्यशाला में प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के राज्य प्रतिनिधि ध्रुव ङ्क्षसह, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी मौजूद रहे।

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