Lok Sabha Election 2024: योजनाओं का मिल रहा लाभ, क्या भाजपा की ओर रहेगा मुसलमानों का झुकाव; पढ़िए ये खास रिपोर्ट
Lok Sabha Election 2024 मुसलमान... आखिर किधर जाएगा ये सवाल हर किसी के मन में रहता है। लोकसभा चुनावों से पहले एक बार फिर से यहीं सवाल सबके जहन में है। ...और पढ़ें

हमीदुल्लाह सिद्दीकी, लखनऊ। मुसलमान... आखिर किधर जाएगा? किसी भी चुनाव में यह बड़ा सवाल होता है। कोई दल कहता है मुसलमान हमारे तो कोई कहता है हमारे। किसी सीट पर कुछ गणित तो किसी पर कुछ। इसी गुणा-भाग को हल करने के लिए तरह-तरह से बिसातें बिछती हैं और दावे भी चुनावी मंचों से बरसते हैं। इन सबके बीच सवाल यह भी है कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पाने वाले मुसलमानों का झुकाव क्या लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ रहेगा? इसी को टटोलने का प्रयास करती लखनऊ से हमीदुल्लाह सिद्दीकी की रिपोर्ट...
लखनऊ के ऐशबाग इलाके में गुप्ताजी के कोटे की दुकान के आगे लंबी लाइन है। हिंदू भी हैं और मुसलमान भी। यानी योजनाओं के धरातल पर दोनों ही एक और सभी को इंतजार है मुफ्त राशन का। चुनावी बात शुरू करने पर डूडा निवासिनी नईमुन्निसा को यह कहने में हिचक नहीं कि जो सरकार गरीबों का ख्याल रखे, वह उसके साथ हैं। वह बताती हैं कि उन्होंने आयुष्मान कार्ड भी बनवा रखा है।
2024 का चुनाव कर रही है बड़े बदलाव की तरफ इशारा
मोती झील निवासी बताते हैं कि मुफ्त राशन स्कीम में उन्हें कभी कोई भेदभाव नजर नहीं आया। आखिर योजनाएं सबके लिए हैं। जाहिर है कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं ने अल्पसंख्यकों पर कुछ तो असर डाला है, लेकिन क्या उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता भी बदलेगी? यह सवाल बड़ा है। योजनाएं एक नहीं, अनेक हैं और इसलिए 2024 का चुनाव भारत की राजनीति में बड़े बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है। इसमें देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी (मुसलमान) की भी भूमिका हो सकती है, क्योंकि उनका जीवन स्तर बढ़ाने के प्रयास समग्रता में हुए हैं।
सरकार की योजनाओं ने सभी को आगे बढ़ाया
सीखो और कमाओ, उस्ताद, हमारी धरोहर, नई रोशनी, नई मंजिल योजनाओं को एकीकृत कर आगे बढ़ाया गया। इन योजनाओं के जरिए 9,63,448 लाभार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया, ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव कहते हैं कि हमारी सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के वंचित वर्ग पर ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना, मुद्रा योजना, जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, अटल पेंशन योजना, स्टार्टअप इंडिया और प्रधानमंत्री कौशल विकास जैसी 135 से ज्यादा ऐसी योजनाएं हैं, जिनके जरिए भी भारत के अन्य समुदाय की तरह मुसलमानों को भी लाभान्वित किया गया।
हरीश श्रीवास्तव ने कहा कि लोकहित की योजनाओं को लागू करके जनकल्याण के क्षेत्र में बड़ा कार्य हुआ है, जिसका लाभ समाज के सभी वर्गों को हुआ है और पार्टी को पूरी उम्मीद है कि लाभान्वित तबके का सहयोग आम चुनाव में पार्टी को मिलेगा।
मुस्लिम महिलाएं हो गई हैं सशक्त
आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर महिलाओं में जागरूकता की बातें रखती हैं-’ मुस्लिम महिलाएं अब अपना व परिवार का हित समझने लगी हैं। अपने हक की बातें कर रही हैं। इनमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहीं महिलाएं, तलाकशुदा महिलाएं और विधवाएं भी शामिल हैं।’ वह कहती हैं कि इसके साथ ही महिलाओं के लिए आवास, राशन कार्ड, बच्चों की छात्रवृत्ति और आयुष्मान कार्ड से निशुल्क इलाज की सुविधा भी दिलाई है।
शाइस्ता अंबर बताती हैं कि ऐसा संभव तभी हो सका जब या तो वो महिलाएं खुद जागरूक थीं, या क्षेत्र के समाजसेवी, सभासद या प्रधान आदि ने उनकी मदद की। यदि कुछ मुस्लिमों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला तो इसका कारण जागरूकता का अभाव हो सकता है।
योजनाओं को लेकर सरकार के दावे
सरकारी दावे के मुताबिक, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम को वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 की अवधि तक जारी रखने की मंजूरी दी गई है। संशोधित पीएमजेवी योजना सभी जिलों के लिए लागू की गई है जहां 15 किमी के दायरे में अल्पसंख्यक आबादी का अनुपात 25 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 में योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं में स्कूल भवन, आवासीय विद्यालय, छात्रावास, आईटीआई, कौशल केंद्र, अस्पतालों सहित स्वास्थ्य परियोजनाएं, स्वास्थ्य केंद्र, सिदभाऊ मंडप, सामुदायिक हाल, खेल परियोजनाएं जैसे खेल परिसर, छात्रावास का निर्माण आदि शामिल हैं।
धार्मिक भेदभाव के बिना योजनाओं का लाभ पहुंचाना है कर्तव्य
मशहूर शिया धर्मगुरु और शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि सरकार की योजनाएं मानव व समाज कल्याण के लिए बनाई जाती हैं और उनका लाभ सभी पात्र व्यक्तियों को बिना धार्मिक भेदभाव के पहुंचाया जाता है, लेकिन यह देखना सरकारों का काम है कि कितने पात्र व्यक्तियों तक लाभ पहुंच रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 2024 में आने वाली सरकार बेरोजगारी, गरीबी दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
यूसीसी के समर्थन में उठाई थी आवाज, लेकिन...
लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता और स्तंभकार नाईश हसन मानती हैं कि इतना कुछ होने के बाद भी अभी महिलाओं के सामने चुनौती बहुत है। सुरक्षा का मुद्दा गंभीर है। बताती हैं कि महिलाओं ने ही पहली आवाज यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष में उठाई थी, 1972 के पहले के आंदोलन इसके गवाह हैं, लेकिन उत्तराखंड में जब उसे लागू किया गया तो लिव इन में रहने वाली महिला से उसके रिश्ते का हिसाब मांगा गया।
नाईश हसन यह भी कहती हैं कि उज्ज्वला योजना में महिलाओं को लाभ मिला, प्राइमरी स्कूलों की हालत में कुछ सुधार नजर आया, राशन की आपूर्ति गांव की महिलाओं तक पहुंच रही है। सबसे बड़ी बात तो अल्पसंख्यक महिलाओं में शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ा है और अपने बच्चों को पढ़ाने पर उनका विशेष ध्यान है।
मुसलमान निभाएंगे निर्णायक भूमिका
उत्तर प्रदेश के चार करोड़ मुसलमान है। ये समुदाय राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से कम से कम 100 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं और रामपुर में 50.6 प्रतिशत, मुरादाबाद में 47.12 प्रतिशत, बिजनौर 43 प्रतिशत, सहारनपुर 42 प्रतिशत, मुजफ्फरनगर 41.3 प्रतिशत, अमरोहा 40.8 प्रतिशत, बलरामपुर 37.5 प्रतिशत, बरेली 4.5 प्रतिशत, मेरठ 34.4 प्रतिशत और बहराइच 33.5 प्रतिशत जैसे जिलों समेत तकरीबन 24 लोकसभा सीटों पर नतीजे तय कर सकते हैं।

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