UP News: वाद्य यंत्र घोटाले का राजफाश करने वाले विशेष सचिव का तबादला, गुणवत्ता के मानकों के अनुरूप नहीं की गई थी सप्लाई
लखनऊ के संस्कृति विभाग में वाद्य यंत्र घोटाले की जांच कर रहे अधिकारी का तबादला कर दिया गया है। घटिया गुणवत्ता के वाद्य यंत्रों की आपूर्ति के कारण निदेशालय ने आपूर्तिकर्ता कंपनी को वाद्य यंत्र वापस करने का निर्णय लिया है। सरकार ने प्रति किट 12 हजार रुपये स्वीकृत किए थे जबकि अधिकारियों ने 32800 रुपये में किट खरीदी थी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। संस्कृति विभाग के सबसे बड़े वाद्य यंत्र घोटाले का राजफाश करने वाले जांच अधिकारी विशेष सचिव रवीन्द्र कुमार-प्रथम का तबादला कर दिया गया है। सूत्रों का मानना है कि जांच अधिकारी का तबादला करके पूरे मामले पर लीपापोती करने की कोशिश की जा रही है। वहीं संस्कृति निदेशालय ने वाद्य यंत्र घोटाले के उजागर होने के बाद आपूर्तिकर्ता कंपनी को वाद्य यंत्र लौटाने का निर्णय लिया है, क्योंकि जिन वाद्य यंत्रों की आपूर्ति की गई है वह सैंपल वाले वाद्य यंत्रों के मुकाबले में गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं हैं।
संस्कृति निदेशालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर प्रदेश भर में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लोक कलाकारों को वितरित करने के लिए दिल्ली की कंपनी से वाद्य यंत्रों की खरीद की थी।
इससे पहले निदेशालय ने वाद्य यंत्रों के सैंपल लिए थे और उन्हीं गुणवत्ता वाले वाद्य यंत्रों की आपूर्ति का ठेका कंपनी को दिया था। क्रय समिति के अधिकारियों ने कमीशनखोरी के लिए घटिया गुणवत्ता वाले वाद्य यंत्रों की खरीद की और उन्हीं वाद्य यंत्रों की आपूर्ति विभिन्न जिलों में की गई। पांच प्रकार के वाद्य यंत्रों की किट के लिए शासन ने 12 हजार रुपये प्रति किट स्वीकृत किए थे, लेकिन अधिकारियों ने वाद्य यंत्रों की किट की खरीद 32,800 रुपये में की थी।
इसकी जानकारी मिलने पर विशेष सचिव ने पूरे मामले की जांच की थी। उन्होंने वाद्य यंत्रों की कीमत, गुणवत्ता और क्रय की प्रक्रिया को लेकर तीन बिंदुओं पर जांच की थी। इसके बाद सहायक निदेशक डॉ. राजेश आहिरवार व वैयक्तिक सहायक कुलदीप सिंह को शासन ने निलंबित कर दिया गया था और संस्कृति मंत्री ने घोटाले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए थे।
जिन वाद्य यंत्रों की आपूर्ति की गई थी उनका भौतिक सत्यापन भी नहीं कराया गया था। वाद्य यंत्र के जो सैंपल भेजे गए थे उनके अनुसार गुणवत्ता वाले वाद्य यंत्रों की आपूर्ति भी नहीं की गई थी। नतीजतन निदेशालय ने वाद्य यंत्र वापस करने का निर्णय लिया है। इस बारे में संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का कहना है कि लोक कलाकारों को घटिया गुणवत्ता वाले वाद्ययंत्र वितरित करने की बजाय इन्हें आपूर्तिकर्ता कंपनी को वापस लौटा दिया जाएगा, क्योंकि कंपनी को भुगतान नहीं किया गया है।
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