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    मुख्तार की मौत से सियासत पर बड़ा असर… लोकसभा चुनाव में दिखेगी तपिश, राजनीतिक दल एक दूसरे पर करेंगे ‘हमला’

    संगठित अपराध के सूत्रधार के तौर पर मुख्तार उत्तर प्रदेश का सबसे कुख्यात नाम था। पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान कानून के मोर्चे पर मिली शिकस्त दर शिकस्त के कारण उसके आतंक का तंत्र लगातार बेबस और पंगु होता दिख रहा था। उसकी मौत से अपराध के एक अध्याय का अंत होने के साथ चुनावी सरगर्मी के बीच कानून व्यवस्था का मुद्दा फिर जोरशोर से चर्चा में आ गया है।

    By Rajeev Dixit Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 29 Mar 2024 08:46 PM (IST)
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    मुख्तार की मौत से ध्रुवीकरण की कोशिशों को लेकर भाजपा सतर्क।

    राजीव दीक्षित/राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद जहां विपक्षी दलों ने सियासी पैंतरे दिखाते हुए सत्ताधारी दल पर हमले शुरू कर दिए हैं तो भाजपा भी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आक्रामक तरीके से मुखर होकर पलटवार करेगी। 

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    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को देश में नजीर बताने का कोई मौका नहीं चूकने वाली भाजपा मुख्तार की मौत से उपजी परिस्थितियों में प्रदेश में संगठित अपराध के खात्मे का श्रेय चुनावी मंचों से जरूर लेगी। लोकसभा चुनाव की तपिश के दौरान मुख्तार की मौत से पैदा हुए हालात और पिछले वर्ष निकाय चुनाव के दौरान प्रयागराज में माफिया अतीक-अशरफ की हत्या से उपजी परिस्थितियों में भाजपा बनाम विपक्षी दलों के बीच जो राजनीतिक द्वंद्व दिख रहा है, उनमें काफी हद तक समानता है। 

    फर्क इतना है कि तब पुलिस संरक्षण में अतीक-अशरफ की हत्या को लेकर वितंडा हुआ था और अब कार्डियक अरेस्ट से हुई मुख्तार की मृत्यु को लेकर विपक्षी दल शक-शुबहे का इजहार कर रहे हैं। तब भी भाजपा ने कानून व्यवस्था पर नकेल कसने की अपनी प्रतिबद्धता को जनता के बीच मजबूती से रखते हुए विपक्षी दलों पर धारदार तरीके से पलटवार किया था।

    संगठित अपराध के सूत्रधार के तौर पर मुख्तार उत्तर प्रदेश का सबसे कुख्यात नाम था। पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान कानून के मोर्चे पर मिली शिकस्त दर शिकस्त के कारण उसके आतंक का तंत्र लगातार बेबस और पंगु होता दिख रहा था। उसकी मौत से अपराध के एक अध्याय का अंत होने के साथ चुनावी सरगर्मी के बीच कानून व्यवस्था का मुद्दा फिर जोरशोर से चर्चा में आ गया है। 

    भाजपा उत्तर प्रदेश में माफियाराज पर नकेल कसने को अपनी बड़ी उपलब्धि बताती रही है। मुख्तार की मौत के मुद्दे को तूल देकर राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिशों का भाजपा को भली-भांति आभास है। 

    आने वाले दिनों में पूर्वांचल के गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी जिलों में इसकी तपिश महसूस होगी। लिहाजा भाजपा अब चुनाव प्रचार के दौरान कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर मतदाताओं के बीच और मुखर होगी।

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