लखनऊ में वाहन चलाने वाली ज्यादातर महिलाओं के पास लाइसेंस नहीं, जुर्माना बढ़ा; नहीं बरत रहीं सतर्कता
लखनऊ में यूं तो हर मार्ग पर महिलाएं दोपहिया और चार पहिया वाहन चलाते मिल जाएंगी। लेकिन क्या सभी के पास डीएल है शायद नहीं? यह हम नहीं कह रहे बल्कि आरटीओ के आंकड़े बता रहे हैं। महिलाओं की दिलचस्पी गाड़ी चलाने में तो है लेकिन लाइसेंस बनवाने में नहीं।
लखनऊ, [नीरज मिश्र]। यूं तो हर मार्ग पर महिलाएं दोपहिया और चार पहिया वाहन चलाते मिल जाएंगी। लेकिन, क्या सभी के पास डीएल है, शायद नहीं? यह हम नहीं कह रहे बल्कि, आरटीओ के आंकड़े बता रहे हैं। महिलाओं की दिलचस्पी गाड़ी चलाने में तो बढ़ रही है लेकिन, लाइसेंस बनवाने में नहीं। बीते तीन वर्षों का जो आंकड़ा आया है। उसके मुताबिक वर्ष 2018 से 2020 के बीच तीन साल में करीब 1,49,743 डीएल लखनऊ रीजन में जारी हुए। इनमें से महज 23,489 लाइसेंस ही महिलाओं ने बनवाए हैं। जबकि पुरुषों ने 1,26,246 डीएल बनवाए हैं। यानी अधिकांश महिलाएं बिना डीएल के ही गाड़ी चला रही हैं।
डीएल के प्रति गंभीर नहींः अधिकारियों की मानें तो एक्टिवा सरीखे कई अन्य मॉडल की दोपहिया गाड़ियां ज्यादातर महिलाओं की पसंद है। ज्यादातर मार्गों पर इन्हें महिलाएं चलाती दिखती हैं लेकिन डीएल के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की लाइसेंस बनवाए जाने में रुचि नहीं है।
जुर्माने की दर भी बढ़ी फिर भी असर नहींः डीएल न होने पर पहले जुर्माने की दर 1,250 रुपये थी। इसे बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया। बावजूद इसके लाइसेंस लेने वाली महिलाओं की संख्या का आंकड़ा बढ़ नहीं पाया है। यात्रीकर अधिकारी आशुतोष उपाध्याय बताते हैं कि पुरुषों और महिलाओं के बीच जुर्माने और चालान का अंतर देखा जाए तो अगर दस पर कार्रवाई की गई तो उनमें पुरुष आठ होंगे और महिलाएं दो। इस अंतर को पाटने के लिए ठोस कार्यवाही जरूरी है।
आंकड़ों की नजर से
- वर्ष पुरुष महिलाएं कुल जारी हुए लाइसेंस
- 2018 40,468 7,051 47,519
- 2019 46,938 8,609 55,547
- 2020 38,848 7,829 46,677
- कुल 1,26,246 23,489 1,49,743
यह सही है महिलाओं की डीएल बनवाने में दिलचस्पी कम है। गाडिय़ां तो महिलाओं के नाम पर खूब खरीदी जा रही हैं। दस से बीस फीसद महिलाएं ही डीएल बनवाती हैं। तमाम बार जागरूकता कैंप भी लगवाए गए। जुर्माने की दर में भी बढ़ोत्तरी की गई है। -एके द्विवेदी, एआरटीओ प्रशासन
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