Research at KGMU Lucknow: XDR TB में आधी से ज्यादा दवाएं ठीक से नहीं करती काम, जानिए कैसे आते हैंं चपेट में
एमडी कर रहे डॉ. यश जगधारी ने विभाग के डॉ. अजय वर्मा के निर्देशन में करीब एक साल तक शोध किया। इसमें पाया गया कि एक्सडीआर टीबी में दी जाने वाली मरीजों की 50 से 70 फीसद दवाएं काम नहीं कर रही हैं।

लखनऊ, जेएनएन। एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंस (एक्सडीआर) में आधी से ज्यादा दवाएं ठीक से काम नहीं करतीं। ऐसे में तय दवाओं में दूसरी दवाएं जोड़नी पड़ती हैं। यह खुलासा केजीएमयू-पीजीआइ, सीडीआरआइ के शोध में हुआ। ऐसे में केजीएमयू में इसे बेस्ट थीसिस चुना गया है। केजीएमयू के रेस्टपरेटरी मेडिसिन विभाग ने पीजीआइ, सीडीआरआइ संग मिलकर 53 एक्सडीआर मरीजों पर शोध किया। मरीजों के बलगम का नमूना लेकर उनके जेनेटिक म्यूटेशन का अध्ययन किया।
एमडी कर रहे डॉ. यश जगधारी ने विभाग के डॉ. अजय वर्मा के निर्देशन में करीब एक साल तक शोध किया। इसमें पाया गया कि एक्सडीआर टीबी में दी जाने वाली मरीजों की 50 से 70 फीसद दवाएं काम नहीं कर रही हैं। ऐसे में कुछ और दवाएं जोड़कर मरीजों को देनी पड़ती हैं। एक्सडीआर टीबी मरीज में घातक टीबी का स्वरूप है। जब सामान्य टीबी में मरीज बीच में दवाएं छोड़ देते हैं। तो मरीज को एमडीआर टीबी हो जाती है। इसके बाद एमडीआर का विकृत रूप एक्सडीआर टीबी हो जाती है।
एक्सडीआर टीबी में सात से आठ तरह की दवाएं व इंजेक्शन दी जाती हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि संस्थान में डॉ. यश के शोध को बेस्ट थीसिस चुना गया है। वहीं मनारोग की डॉ. कोपल की थीसिस को िद्वतीय व ईएनटी की डॉ. मोनिका की थीसिस को तृतीय स्थाप मिला। डॉ. यश के मुताबिक एक्सडीआर टीबी के 20 फीसद मरीज एनजइटी और अवसाद की चपेट में मिले।
ऐसे होता है एक्सडीआर टीबी
एक्सडीआर टीबी केवल दो कारणों से होता है। पहला कारण यह है कि जब कोई टीबी का रोगी उपचार करा रहा होता है और वह एंटी टीबी दवाओं का दुरुपयोग करता है तो एक्सडीआर टीबी पनपता है। वहींं दूसरा कारण यह है कि जब कोई ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आता है, जिसे पहले से ही XDR टीबी है तो दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। एक्सडीआर टीबी भी अन्य टीबी की ही तरह फैलता है। अक्सर निम्न मध्यम आय वाले देशों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से XDR TB का पता नहीं चल पाता है।
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