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    UP: आखिरी दिन सरेंडर किए 7,843.86 करोड़ तो CAG ने राज्य सरकार के विभागों के खर्च के तौर-तरीकों पर उठाया सवाल

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj Mishra
    Updated: Wed, 09 Aug 2023 12:40 PM (IST)

    उत्‍तर प्रदेश सरकार के विभागों के खर्च के तौर-तरीकों पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने सवाल उठाए हैं। आखिरी समय में धनराशि खर्च करने और सरेंडर करने की प्रवृत्ति पर सीएजी ने अंगुली उठाते हुए कहा है क‍ि बजट का आकार तो बढ़ रहा लेकिन उस अनुपात में खर्च में वृद्धि नहीं हो रही है। सीएजी ने वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने में धुआंधार खर्च पर भी अंगुली उठाई है।

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    CAG ने राज्य सरकार के विभागों के खर्च के तौर-तरीकों पर उठाया सवाल

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो। भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने राज्य सरकार के विभागों के खर्च के तौर-तरीकों पर सवाल उठाया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य के वित्त पर आधारित रिपोर्ट में बताया गया है कि न सिर्फ विभाग आखिरी महीने में धुंआधार तरीके से खर्च करते हैं बल्कि अंतिम समय में बड़ी धनराशि सरेंडर भी करते हैं।

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    मंगलवार को विधान मंडल में पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2021-22 में 1,52,626 करोड़ रुपये की कुल बचत में से 25 मार्च से पूर्व 117.09 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन 7,843.86 करोड़ रुपये सरेंडर किये गए। शेष 1,44,665.05 करोड़ रपये लैप्स हो गए।

    यह तब था जब उप्र बजट मैनुअल में प्राविधान है कि नियंत्रण अधिकारियों को सभी अंतिम बचतों को 25 मार्च तक वित्त विभाग को सरेंडर कर देना चाहिए। सीएजी ने वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने में सरकारी विभागों की ओर से किए जाने वाले धुआंधार खर्च पर भी अंगुली उठाई है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2021-22 के आखिरी महीने में दो अनुदानों में उनके कुल बजट प्राविधान का 50 प्रतिशत या उससे अधिक खर्च किया गया। सीएजी ने सरकार को अंतिम महीने में व्यय के अतिरेक को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का मशविरा दिया है।

    रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में राज्य सरकार की कुल बचत 1,52,626 करोड़ रुपये थी जो कि कुल बजट आकार का 25.37 प्रतिशत थी। पिछले पांच वर्षों क दौरान बजटीय प्राविधानों में लगातर वृद्धि हुई लेकिन इस दौरान खर्च में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति नहीं रही बल्कि उतार-चढ़ाव देखा गया।

    24 अनुदानों से संबंधित 28 मामलों में पिछले पांच वर्षों के दौरान लगातार 100 करोड़ रुपये से अधिक बचत हुई। सीएजी ने सरकार को सलाह दी है कि वह उन कारणों की समीक्षा करे जिनकी वजह से इतनी बड़ी राशि का उपयोग नहीं किया जा सका। साथ ही भविष्य में विवेकपूर्ण बजट प्रावधान करने की सलाह दी है।