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    बच्‍चों को न‍ियंत्र‍ित कर रहा मोबाइल, समझने में चूके तो होंगे घातक पर‍िणाम; ऐसे दूर करें बच्‍चों का अकेलापन

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 18 Jun 2022 05:43 AM (IST)

    Mobile Phone Addiction बच्‍चों को मोबाइल से होने वाले दुष्‍पर‍िणामों की जानकारी देते हुए आनलाइन के बजाय विभिन्न स्थानों पर होने वाली प्रतियोगिताओं कार्यक्रमों में सहभागिता के ल‍िए प्रेर‍ित करें। उनकी सफलता पर बढ़ाएं हौसला नाकामी पर समझाएं और मेहनत करने के लिए करें प्रोत्साहित।

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    Mobile Phone Addiction: सामाजिक सहभागिता से दूर करें बच्‍चों का अकेलापन।

    बाराबंकी, [जगदीप शुक्ल]। मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग न सिर्फ बच्चों के व्यवहार में बदलाव का कारण बन रहा है, बल्कि उनको विभिन्न रोगों की ओर भी ढकेल रहा है। मोबाइल के ज्यादा प्रयोग से बच्चे जिद्दी, गुस्सैल, चिड़चिड़े स्वभाव के साथ ही गुमसुम रहने लगते हैं। इसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य, पढ़ाई-लिखाई और करियर पर भी पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि उनका ध्यान मोबाइल की दुनिया से मोड़कर सामाजिक गतिविधियों से जोड़ा जाए, ताकि उनका अकेलापन दूर हो सके। मुंशी रघुनंदन प्रसाद सरदार पटेल महिला परास्नातक महाविद्यालय में समाजशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर अमिता सिंह कुछ ऐसी ही सलाह दे रही हैं।

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    बच्चों को समय दें माता-पिता : डा. अमिता सिंह बताती हैं कि बच्चों को मोबाइल की जगह उनकी रुचि के अनुसार खिलौने खेलने के लिए दें। उनको पालतू जानवर भी लाकर दे सकते हैं। माता-पिता ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताएं। उनके साथ रहने और खेलने से मोबाइल की तरफ उनका ध्यान हटाया जा सकता है। बच्चों को ज्यादा देर तक मोबाइल से स्वास्थ्य और करियर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में जानकारी दें।

    प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें : वह बताती हैं कि बच्चों को नृत्य, गायन, पेंटिंग आदि सीखने के लिए प्रेरित करें। यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जहां लाभकारी होगा वहीं मोबाइल की आदत भी आसानी से छूट जाएगी। बच्चों को मोबाइल के बजाय आउटडोर गेम में प्रतिभाग कराएं। बच्चों के सामने बड़े भी मोबाइल फोन का उपयोग न करें। बच्चों को कुछ क्रियेटिव एक्टिविटी में शामिल करें।

    असफलता पर डांटे नहीं समझाएं : परीक्षा या प्रतियोगिता में असफल रहने अथवा अपेक्षानुसार प्रदर्शन न कर पाने पर बच्चों को डांटने के बजाय समझाएं। सफल व्यक्तियों की जिंदगी के संघर्ष और उनकी सफलता के किस्से सुनाएं। दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करें और बच्चों को कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट, छुपनछुपाई, दौड़ आदि खेलों में प्रतिभाग कराएं। ताकि उनकी सामाजिक गतिविधियों में रुचि बढ़ सके।