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    Mob Lynching in UP : उत्तर प्रदेश में अब मॉब लिंचिंग के मामलों की होगी मासिक समीक्षा, सरकार बेहद गंभीर

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 12:30 PM (IST)

    Mob Lynching in UP किसी पुराने पारिवारिक विवाद भूमि विवाद व लूट के दौरान भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या के मामले में भी मॉब लिंचिंग की धारा के तहत कार्रवाई न की जाए। भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (2) के तहत मॉब लिंचिंग में मृत्यु दंड या आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान किया गया है।

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    मॉब लिंचिंग के मामलों की होगी मासिक समीक्षा

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : भीड़ के कानून को हाथ में लेने या किसी की हत्या करने (मॉब लिंचिंग) के मामले में कानून का दुरुपयोग रोकने व प्रभावी कार्रवाई को लेकर गृह विभाग ने कड़े निर्देश दिए हैं। सरकार से जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक की निगरानी समिति के मॉब लिंचिंग के मामलों की समीक्षा करने और उसकी मासिक रिपोर्ट गृह विभाग को भेजे जाने का निर्देश दिया गया है।

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    इसमें स्पष्ट कहा गया है कि किसी पुराने पारिवारिक विवाद, भूमि विवाद व लूट के दौरान भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या के मामले में भी मॉब लिंचिंग की धारा के तहत कार्रवाई न की जाए। भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 (2) के तहत मॉब लिंचिंग में मृत्यु दंड या आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान किया गया है।

    सभी आरोपितों के लिए समान सजा का प्रविधान

    पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के समूह के नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या ऐसे किसी अन्य कारण को लेकर हत्या किए जाने पर मॉब लिंचिंग के तहत सभी आरोपितों के लिए समान सजा का प्रविधान है। इन्हें अत्यंत संयम, सावधानी व कानूनी विवेक के साथ लागू किया जाना नितांत आवश्यक है ताकि किसी भी व्यक्ति अथवा समूह के विरुद्ध अनुचित या अन्यायपूर्ण कार्रवाई न हो।

    नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश

    ऐसी घटना में पर्याप्त साक्ष्य संकलन के बाद सीओ अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी के अनुमोदन पर ही मुकदमा दर्ज किये जाने तथा हर जिले में एएसपी स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाने का निर्देश दिया गया है। ऐसी घटनाओं के दृष्टिगत संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित करने व अधिकारियों की जवाबदेही तय किए जाने समेत अन्य निर्देश दिए गए हैं।

    इस प्रकार की हिंसा को कहते हैं मॉब लिंचिंग

    जब अनियंत्रित भीड़ किसी दोषी को उसके अपराध के लिए या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध के भी किसी भी तत्काल सजा दे या उसे पीट-पीट कर मार डाले तो भीड़ की इस हिंसा को मॉब लिंचिंग कहते हैं। इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता और यह पूर्णतः गैर-कानूनी होती है। वर्ष 2017 का पहलू खान हत्याकांड मॉब लिंचिंग का चर्चित उदाहरण है, जिसमें कुछ तथाकथित गौ रक्षकों की भीड़ ने गौ तस्करी के झूठे आरोप में पहलू खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।