UP Job Scam: सपा सरकार में पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह ने गांव के युवकों को भी बांटी थी नौकरी, जांच में खुलासा
Job Scam In UP सपा शासनकाल में पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती में धांधली का मामला सामने आया है। बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश पर एसएसआइटी ने छह वर्ष पूर्व जांच आरंभ की थी। मामले में हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। सपा शासनकाल में जल निगम में हुए भर्ती घोटाले में पूर्व मंत्री आजम खां पर शिकंजा कसे जाने के बाद अब वर्ष 2014 में पशुधन विभाग में हुई भर्तियां के खेल में तत्कालीन पशुधन मंत्री राजकिशोर सिंह की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। राज्य विशेष जांच दल (एसएसआइटी) की जांच में पूर्व मंत्री राजकिशोर के भर्ती घोटाले में संलिप्त होने के साक्ष्य जुटाए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि नियमों को दरकिनार कर पूर्व मंत्री ने अपने गृह जिला बस्ती व अपने गांव के कई युवकों को भी नौकरी बांटी थी।
मंत्री के ही अनुमोदन पर पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर भर्तियां की गई थीं। एसएसआइटी की सिफारिश पर शासन ने पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह व तत्कालीन प्रमुख सचिव, पशुधन योगेश कुमार (अब सेवानिवृत्त) के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति प्रदान किए जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। पशुधन मंत्री धर्मपाल ने इसकी पुष्टि की है। मंत्री का कहना है कि नियमों की अनदेखी कर भर्तियां की गई थीं। मामले में हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
पशुधन प्रसार अधिकारी की भर्ती परीक्षा ओएमआर शीट को जांचने के लिए रायबरेली स्थित फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी भेजा गया था। जांच में इंस्टीट्यूट के तत्कालीन निदेशक आरपी शर्मा व तत्कालीन प्रशासक मु.इसरत हुसैन की भूमिका ओएमआर शीट में गड़बड़ी में सामने आई है। परीक्षा का परिणाम आरपी शर्मा के हस्ताक्षर के बिना ही जारी किया गया था। इन दोनों के विरुद्ध भी अभियोजन स्वीकृति दे दी गई है।
पशुधन विभाग में वर्ष 2014 में 1198 पदों पर पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती की परीक्षा में लाखों अभ्यर्थी सम्मलित हुए थे। इनमें 1005 चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के बाद पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था। इसी बीच कई परीक्षार्थियों ने नियमावली को दरकिनार कर भर्तियां किए जाने का आरोप लगाया था। 34 परीक्षार्थियों ने इसे लेकर हाई कोर्ट में रिट भी दाखिल की थी। परीक्षा में साक्षात्कार के 20 अंक थे। जबकि 80 अंकों का प्रश्नपत्र दिया गया था। परीक्षा में आनलाइन आवेदन किए जाने थे। आरोप था कि कई अभ्यर्थियों के आवेदन पशुधन विभाग में सीधे भी लिए गए थे। वहीं कई अभ्यर्थियों को तो बिना लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित हुए ही साक्षात्कार के लिए पत्र भेजे जाने के गंभीर आरोप भी लगे थे।
हाई कोर्ट के निर्देश पर दिसंबर, 2017 में एसएसआइटी ने प्रकरण की जांच आरंभ की थी। जिसके बाद लखनऊ, कानपुर, देवीपाटन, फैजाबाद, गोरखपुर व बस्ती समेत 17 मंडल के तत्कालीन अपर निदेशकों सहित अन्य अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया गया था। जांच के बाद जुलाई, 2021 में 28 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई थी। एसएसआइटी ने जुलाई, 2022 में अपनी ड्राफ्ट फाइनल रिपोर्ट शासन को भेजी थी,जिसमें भर्ती में धांधली केे लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई समेत अन्य संस्तुतियां की गई थीं।
इनके विरुद्ध पहले दी गई अभियोजन स्वीकृति
एसएसआइटी ने जांच में दोषी पाए गए आरोपित तत्कालीन अधिकारियों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल करने के लिए तीन माह पूर्व शासन से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। पिछले माह 22 अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति दी गई थी, जिनमें पशुपालन विभाग के तत्कालीन निदेशक डा.रुद्र प्रताप सिंह, संयुक्त निदेशक डा.प्रमोद कुमार त्रिपाठी, अपर निदेशक कृष्ण प्रताप सिंह, डा.चरन सिंह यादव,डा.कृपा शंकर सिंह, कृष्ण पाल सिंह, डा.राम किशोर यादव, डा.हरपाल सिंह, डा.शरद कुमार सिंह, डा.कौशलेन्द्र सिंह, डा.प्रकाश चन्द्रा, डा.रमेश चंद्र पांडेय, अमरेन्द्र नाथ सिंह, डा.गिरीश द्विवेदी, डा.अभिनेष पाल सिंह, डा.अनूप कुमार श्रीवास्तव, डा.रामपाल सिंह, डा.गिरजा नंदन सिंह तथा अपर निदेशक डा.अंगद उपाध्याय, डा.नरेन्द्र प्रताप सिंह गहलौत, डा.सत्य प्रताप सिंह यादव व डा.चंद्र दत्त शर्मा के नाम शामिल थे।
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