बलरामपुर में मृतकों को खिलाई जा रही थी एड्स की दवा, चिकित्सक समेत चार की सेवा समाप्त
बलरामपुर के जिला मेमोरियल अस्पताल में चार साल से बिना विवरण दर्ज किए एड्स मरीजों को दवा दी जा रही थी। मृतकों की संख्या बढ़ने की जांच में मामले का राजफ ...और पढ़ें

बलरामपुर, [पवन मिश्र]। योजनाओं में भ्रष्टाचार के लिए बदनाम रहे स्वास्थ्य विभाग में एड्स मरीजों के इलाज में भी खेल हो गया। एड्स मरीजों की मौत की संख्या बढऩे पर जब जांच कराई तो पता चला कि जिले में दुनिया छोड़ चुके 16 मरीजों को दवाएं खिलाई जा रही थी। लापरवाही का राजफाश होने के बाद चिकित्सक, फार्मासिस्ट, डाटा मैनेजर व काउंसलर की सेवाएं समाप्त कर दी गर्ईं।
दो साल से कोरोना काल के चलते जिला मेमोरियल अस्पताल बंद रहा। ऐसे में मरीजों के घर पर ही दवाएं पहुंचाई जाती रहीं। इसके पहले भी दो साल से दवाओं का विवरण दर्ज किए बगैर मरीजों को दवाएं दी जाती रही। चार साल से चल रही लापरवाही के चलते एड्स से मरने वाले मरीज बढ़ गए। इसकी छानबीन शुरू हुई। तीन सदस्यीय कमेटी ने दवा वितरण की जांच की तो पता चला कि 12 सौ में से 600 मरीज खुद आकर दवाएं ले रहे थे। इतने ही मरीजों के घर भी दवाएं पहुंचाई जा रही थी।
इनमें 16 ऐसे मरीजों के घर दवाएं पहुंचा दी गईं जो दुनिया छोड़ चुके हैं। शहर से सटे सोनपुर गांव समेत विभिन्न स्थानों के निवासी इन मरीजों का हालचाल पूछे बगैर दवाएं भेज दी जाती रहीं। एआरटी सेंटर के चिकित्सक का कहना है कि कोरोना काल में अस्पताल बंद रहने के चलते दवाएं मरीजों के घर पर दी जा रही थीं। इस दौरान दी गई दवाओं का विवरण कहीं दर्ज नहीं हो पाया था। पिछले दो सालों में भी डाटा मैनेजर समेत अन्य पद रिक्त होने के कारण दवाओं का ब्योरा नहीं दर्ज हो सका।
इधर जब दवाओं का ब्योरा दर्ज किया गया तो त्रुटिवश पुराने मरीजों को दवाएं पहुंचाना दिखा दिया गया, इसमें उनका कोई दोष नहीं है। इस पर राज्य नियंत्रण सोसाइटी के संयुक्त निदेशक डा. एके ङ्क्षसघल ने चिकित्सक आरके श्रीवास्तव, फार्मासिस्ट राजेश कुमार दुबे, डाटा मैनेजर शशांक श्रीवास्तव व काउंसलर उमंग श्रीवास्तव की संविदा समाप्त कर दी है।

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