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    झोपड़पट्टी के बच्चों को कांवेंट शिक्षा की पहल

    ग्रामीण परिवेश को समझने वाली एक गृहणी ने ऐसी युवतियों को एकत्र कर न केवल तकनीकी शिक्षा देने का निर्णय लिया बल्कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने लायक भी बना दिया, वह भी निश्शुल्क। हम बात कर रहे हैं शालिनी सिंह की

    By Gaurav TiwariEdited By: Updated: Thu, 25 Oct 2018 06:32 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, लखनऊ: कहते हैं यदि कुछ करने की लगन हो तो मंजिल मिल ही जाती है। गरीबों के घर की लड़कियां शिक्षित तो हो जाती हैं, लेकिन जब उन्हें पढ़ाई के लिए बाहर भेजने की बात होती है तो घर वाले लोकलाज के नाम पर उन्हें चहार दीवारी में कैद रखने में ही शान समझते हैं। शहरों के हालात बदले, लेकिन ग्रामीण इलाके में स्थिति अभी भी जस की तस है।

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    ग्रामीण परिवेश को समझने वाली एक गृहणी ने ऐसी युवतियों को एकत्र कर न केवल तकनीकी शिक्षा देने का निर्णय लिया बल्कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने लायक भी बना दिया, वह भी निश्शुल्क। हम बात कर रहे हैं शालिनी सिंह की। कृष्णानगर के भगवती विहार की रहने वाली शालिनी ने अब तक दो हजार से अधिक युवतियों को ब्यूटीशियन व होजरी की ट्रेनिंग देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। दैनिक जागरण के माय सिटी माय प्राइड के तहत उन्होंने 10 गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने का संकल्प लिया था, इसके एवज में उन्होंने 13 बच्चों को कांवेंट शिक्षा के लिए चुन लिया है। डिजिटल कक्षाओं में उनकी पढ़ाई की तैयारियां पूरी हो गई हैं। सिटिजन डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के माध्यम से वह झोपड़पट्टी में रहने वाले गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार देने की पहल शुरू करेंगी। गऊघाट के ऐतिहासिक शिव मंदिर के पास भी गरीबों के बच्चों को पढ़ाती हैं।

    समाजसेवियों ने दिया साथ
    जब वह अपने बच्चे को स्कूल लेकर जाती थीं तो रास्ते में झोपड़पट्टी में रहने वाले बच्चों को देखकर वह परेशान हो जाती थीं। बस उन्होंने ऐसे बच्चों को एकत्र कर उन्हें शिक्षित करने का संकल्प लिया और उनका कारवां निकल पड़ा। कृष्णानगर और गऊघाट पर समाज के लोगों के साथ मिलकर उन्होंने बच्चों को गर्म कपड़ों के साथ ही किताबें दी गईं।