‘सोशल इंजीनियरिंग’ के पुल से चुनावी वैतरणी पार करेगा ‘हाथी’, ‘सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय’ के फार्मूले पर लौटी मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर मिशन 2027 का एजेंडा सेट किया। उन्होंने 'सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय' के नारे के साथ सोशल इंजीनियरिंग पर जोर दिया। मायावती ने दलितों, पिछड़ों, और मुसलमानों को साथ लेकर चलने की बात कही और सपा-कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने आकाश आनंद को आगे बढ़ाने के संकेत दिए और कार्यकर्ताओं से 2027 के चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा।

अजय जायसवाल, लखनऊ। बसपा के संस्थापक कांशीराम के 19वें परिनिर्वाण दिवस पर राजधानी में भारी भीड़ जुटाकर विरोधियों को अपनी ताकत दिखाने के साथ ही पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मिशन 2027 के लिए अपना एजेंडा सेट करते हुए चुनावी रणनीति भी साफ कर दी।
एक बार फिर विभिन्न वर्गों के मतदाताओं की गोलबंदी के लिए सोशल इंजीनियरिंग का पुल तैयार होगा, और उसके सहारे ‘हाथी’ चुनावी वैतरणी पार कर सत्ता की मंजिल तक दौड़ लाएगा। दो दशक पुराने सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के आजमाए फार्मूले के दम पर बसपा फिर बहुमत की सरकार बनाने के लिए चुनावी रण में उतरेगी।
पांचवी बार सत्ता के लिए वंचित समाज के साथ मायावती अपर कास्ट से लेकर पिछड़े वर्ग व मुस्लिम समाज के पार्टी नेताओं के माध्यम से सर्वसमाज को साधेंगी।
गुरुवार को मायावती ने कांशीराम स्मारक स्थल पर पूर्व के आयोजनों (15 जनवरी 2009, 15 जनवरी 2014 व नौ अक्टूबर 2021) से कहीं अधिक भीड़ जुटाकर अगले विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार बनाने की जमीन तैयार करने के साथ ही बसपा के कमजोर होने के आरोपों को भी खारिज करने की कोशिश की।
बेहतर कानून व्यवस्था व सर्वसमाज के हित में पांचवी बार बसपा की सरकार बनाने का आह्वान करते हुए मायावती ने भरोसा दिलाया कि सरकार बनने पर सर्वजन के विरोधी सपा-भाजपा सरकार के जातिवादी व पूंजीवादी नियम-कानून को बदल देंगी। संविधान, आरक्षण की रक्षा के साथ ही सर्वसमाज को हर तरह के शोषण से निजात दिलाएंगी।
सपा और कांग्रेस पर तीखे हमले बोलने के साथ ही उन्होंने विरोधियों के तमाम तरह के हथकंडें, छलावा व नाटकबाजी से भी सावधान रहने की नसीहत दी। सरकार की नीतियों पर सवाल उठाकर बसपा सुप्रीमो ने भाजपा के प्रति नरम रुख के आरोपों को भी खारिज करने की कोशिश की ताकि मुस्लिम समाज सपा का साथ छोड़ फिर ‘हाथी’ पर सवार हो।
गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में मायावती ने ‘दलित-मुस्लिम’ फार्मूले पर बड़ा दांव लगाया लेकिन मुस्लिम समाज के साथ ही गैर जाटव और गैर यादव पिछड़ी जातियों ने भी ‘हाथी’ का साथ नहीं दिया जिससे पार्टी का 10 प्रतिशत जनाधार और खिसक गया था।
सपा पर कहीं अधिक हमलावर मायावती की कोशिश रही कि उसके पीडीए (पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक) वोट बैंक को फिर कमजोर किया जा सके। माना जाता है कि भाजपा के साथ ही सपा की सेंधमारी से ही बसपा का आज न कोई सांसद और न ही एमएलसी है जबकि वर्ष 2007 में ‘दलित-ब्राह्मण’ सोशल इंजीनियरिंग के सहारे 206 विधानसभा सीटें व 30.43 प्रतिशत वोट के साथ पार्टी बहुमत की सरकार बना चुकी है।
प्रदेश के अलावा पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा में पार्टी के सांसद रहे हैं। वर्ष 2009 के चुनाव में पार्टी के 21 सांसद जीते लेकिन उसके बाद ‘हाथी’ की ऐसी सेहत बिगड़ी की आज तक सही से खड़ा नहीं हो सका है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला फेल होने पर मायावती ने वर्ष 2017 के चुनाव में ‘दलित-मुस्लिम’ और फिर जाट-दलित जैसे दांव भी चले लेकिन पार्टी के प्रदर्शन में सुधार न हुआ।
वर्ष 2014 के बाद पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में भी पार्टी शून्य पर सिमटी रही। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करने पर ही 10 सांसद जीते। नौ प्रतिशत जनाधार खिसकने के साथ वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का सिर्फ एक विधायक जीता। गर्त में जाती पार्टी को युवा तेवर के साथ खड़ा करने के लिए मायावती ने गुरुवार को अपने भतीजे आकाश आनंद को ही अपनी सियासी विरासत सौंपने के स्पष्ट संकेत भी दिए। 65 मिनट के भाषण में 69 वर्षीय मायावती ने जिस तरह के तेवर दिखाते हुए अबकी चुनाव में जी-जान से जुटने का सभी से वादा किया उससे यह संदेश भी देने की कोशिश दिखी कि 2007 की तरफ 2027 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा चमत्कार कर सकती है।
सर्वसमाज के नेताओं को मिली तव्वजो
अमूमन मायावती के मंच पर दूसरे नेताओं को जगह नहीं मिलती है लेकिन गुरुवार के आयोजन में 18 नेताओं के लिए कुर्सियां लगाई गईं थी। इनमें भाई आनंद कुमार, भतीजा आकाश आनंद, सतीश चंद्र मिश्र व उनके पुत्र कपिल मिश्र, उमाशंकर सिंह, विश्वनाथ पाल, जमील अख्तर, मुनकाद अली, नौशाद अली, गिरीश जाटव, अखिलेश आंबेडकर, शैलेन्द्र गौतम आदि सर्वसमाज के नेता थे।
भाषण के दौरान मायावती ने कई नेताओं की तारीफ करते हुए उनसे अपने-अपने समाज के अपर कास्ट से लेकर पिछड़े व वंचित समाज में पार्टी का जनाधार बढ़ाने का आह्वान किया। लाखों-लाख की भीड़ से पुराने रिकार्ड टूटने का दावा कर बसपा सुप्रीमो ने इसका श्रेय कार्यकर्ताओं को देकर उत्साह भी जगाया। आयोजन में बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब आदि से भी लोग पहुंचे।
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