'समाजवादी पार्टी ने बदल दिया था संत रविदास नगर जिले का नाम', मायावती ने सपा और भाजपा पर साधा निशाना
बसपा प्रमुख मायावती ने संत रविदास जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सपा और भाजपा पर जातिवादी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संत रविदास नगर जिले का नाम बदलना इन पार्टियों की जातिवादी सोच को दर्शाता है। मायावती ने संत रविदास के जीवन और संदेश पर प्रकाश डाला और कहा कि उनके पदचिन्हों पर चलकर ही सुख-शांति और खुशहाली संभव है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। संत रविदास की जयंती पर बुधवार को उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने सपा और भाजपा पर जातिवादी होने का आरोप लगाते हुए हमला बोला।
कहा कि संतगुरू रविदास जी के सम्मान में उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए बीएसपी सरकार ने भदोही का जिला मुख्यालय का दर्जा सुरक्षित रखते हुए संत रविदास नगर जिला बनाया था। सपा सरकार ने जातिवादी व राजनीतिक द्वेष के कारण यह नाम बदल दिया, भाजपा सरकार ने संत रविदास नगर जिले का नाम पुनः बहाल नहीं किया गया है। इससे साबित होता है कि इन पार्टियों की सोच एक जैसी जातिवादी है।
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि संत गुरू रविदास ने अपना सारा जीवन लोगों को इंसान बनाने के लिए इंसानियत का संदेश देने में गुजारा। जाति भेद व द्वेष आदि के खिलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते हुए वह अमर हो गए। उनके पदचिन्हों पर चलकर सुख-शांति एवं खुशहाली संभव है। लेकिन सरकारों की हर सेवा की कीमत वोट के रूप में वसूलने की प्रवृति से जन व देशहित प्रभावित हो रहा है।
कांग्रेस-भाजपा ने किया संत रविदास का अपमान: मायावती
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीएसपी की स्थापना से पहले कांग्रेस व बीजेपी जैसी पार्टियों की सरकारों में भी दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्ग के महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों की उपेक्षा की गई। उन्हें आदर-सम्मान देना तो बहुत दूर की बात है, इनका हमेशा ही तिरस्कार किया गया, जिससे इन वर्गों के लोग हमेशा आहत व दुखी रहे। अब इनके वोटों की राजनीतिक स्वार्थ में कांग्रेस, बीजेपी, सपा आदि पार्टियों के लोग उनके महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों की जयंती आदि के मौके पर उनसे जुड़े स्थलों पर जाकर तरह-तरह की नाटकबाजी करते हैं।
अब तो सरकारी नौकरी व शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण के इनके संवैधानिक अधिकार को षडयंत्र करके निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया गया है। इनके आरक्षित पदों को नियमित रूप से नहीं भरा जा रहा है। आरक्षित वर्ग के बैकलॉग वर्षों से खाली हैं। इन शोषित-उपेक्षित वर्गों के करोड़ों लोग अपने पांव पर खड़ा नहीं होकर हमेशा की तरह लाचार व गुलाम बने रहें, इसीलिए ऐसे जातिवादी तत्वों व पार्टियों से जो केवल वोटों के स्वार्थ की राजनीति करने में माहिर हैं, उनसे लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।
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