Malini Awasthi on Janmashtmi 2025: ‘जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई...', जन्माष्टमी पर मालिनी अवस्थी का नया गाना रिलीज
लोकगाथा के साथ भारतीय संस्कृति और सभ्यता को अलग अंदाज में प्रस्तुत करने वाली मालिनी अवस्थी ने इस बार जन्मे हैं जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई के माध्यम से लोगों की इस बार की श्री कृष्ण जन्माष्टमी को बेहद यादगार और मनोहारी बना दिया। उन्होंने इस गीत को अपने आधिकारिक you tube चैनल सोनचिरैया पर रिलीज किया।

धर्मेंद्र पांडे, लखनऊ। प्रसिद्ध लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी का नया गीत ‘जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई’ जन्माष्टमी के मौके पर आया है। ये गाना उन्होंने अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल सोनचिरैया पर रिलीज किया। जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई... गीत में उन्होंने अपनी आवाज देने के साथ ही कंपोजिंग भी की है।
उन्होंने कैप्शन में लिखा, "भगवान श्री कृष्ण का अवतरण भारतीय समाज भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक आनंद का उत्सव माना जाता है।
लोकगाथा के साथ भारतीय संस्कृति और सभ्यता को अलग अंदाज में प्रस्तुत करने वाली मालिनी अवस्थी ने इस बार "जन्मे हैं जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई" के माध्यम से लोगों की इस बार की श्री कृष्ण जन्माष्टमी को बेहद यादगार और मनोहारी बना दिया।
जिस दिव्यता से कान्हा का जन्म होता है जन्म कहीं और और पालन कहीं और! वासुदेव देवकी के पुत्र का पालन घर से दूर गोकुल में नंद बाबा और यशोदा मां करते हैं। उनके जन्म पर पूरा ब्रजमंडल पूरी धरती उत्सव मनाने लगती है, क्योंकि वे जानते हैं कि अधर्म का नाश करने के लिए नारायण लीला रचने स्वयं पधारे हैं। इस जन्माष्टमी पर सुनिए यह बधाई गीत, मेरा भक्त प्रयास।"
इस गाने में आवाज देने के साथ ही मालिनी अवस्थी ने इसे कंपोज भी किया है। रिलीज होने के पांच घंटे के भीतर इस गाने को अब तक दो हजार से अधिक लोग सुन चुके हैं। साथ ही जन्माष्टमी के मौके पर रिलीज इस गाने को सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। लोग कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
गोकुल में बधाई की गूंज और भक्ति का उल्लास
"जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई, गोकुल में बाजे बधाई" गीत इसी भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को स्वर देता है। यह गीत जन्माष्टमी के अवसर पर एक भक्तिपूर्ण प्रयास है, जो श्रोताओं को उस दिव्य क्षण से जोड़ता है जब नारायण ने अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भारतीय संस्कृति में केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि आनंद, प्रेम और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक है। "जन्मे हैं कृष्ण कन्हाई, गोकुल में बाजे बधाई" गीत इसी भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को स्वर देता है। यह गीत जन्माष्टमी के अवसर पर एक भक्तिपूर्ण प्रयास है, जो श्रोताओं को उस दिव्य क्षण से जोड़ता है जब नारायण ने अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया।
श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में हुआ, लेकिन उनका पालन-पोषण गोकुल में नंद बाबा और यशोदा मां ने किया। यह विरोधाभास ही उनकी लीला की शुरुआत है—जहां जन्म हुआ अंधकार में, लेकिन पालन हुआ प्रेम और प्रकाश में। गीत में इसी भाव को खूबसूरती से उकेरा गया है, जहां गोकुल की गलियों में बधाई बज रही है, और पूरा ब्रजमंडल आनंद में डूबा है।
वीडियो में पारंपरिक संगीत, लोक शैली और भावनात्मक गायकी का अद्भुत संगम है। यह न केवल एक भक्तिपूर्ण प्रस्तुति है, बल्कि भारतीय लोक संस्कृति की समृद्धि को भी दर्शाता है। गीत के बोल सरल हैं, लेकिन उनमें गहराई है- हर शब्द श्रीकृष्ण के जन्म की महिमा को गाता है, और हर सुर भक्त के हृदय को छूता है।
इस गीत को सुनते हुए ऐसा लगता है मानो हम भी उस उत्सव का हिस्सा हैं, जब देवताओं ने पुष्पवर्षा की थी, जब नंद बाबा ने आनंद में गायों को सजाया था, और जब यशोदा मां ने पहली बार अपने लाला को गोद में लिया था।
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