'बहू साथ ले गई बलिदानी बेटे की यादें, छलका कैप्टन...,' अंशुमान के माता-पिता का दर्द, अब इस बात की कर रहे मांग
कैप्टन अंशुमान सिंह पिछले साल जुलाई महीने में सियाचिन ग्लेशियर में रेजिमेंटल मेडिकल ऑफिसर पद पर तैनात थे। 19 जुलाई 2023 की तड़के साढ़े तीन बजे सेना के गोला बारूद बंकर में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। कई जवान बंकर में फंस गए। जवानों को बचाने के लिए अंशुमान सिंह बंकर में दाखिल हुए जहां वो बुरी तरह झुलस गए। चंडीगढ़ में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। पिछले साल 19 जुलाई को सियाचिन ग्लेशियर में जवानों की जान बचाते हुए बलिदान हुए कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति ने उनके परिवार से ही नाता तोड़ लिया है। पिछले दिनों राष्ट्रपति ने बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत शांतिकाल का वीरता पदक कीर्ति चक्र उनकी पत्नी स्मृति को प्रदान किया था।
बेटे की जांबाजी पर मिले कीर्ति चक्र स्मृति के साथ राष्ट्रपति भवन में मौजूद उनकी मां मंजू सिंह केवल छू सकीं। पिता रवि प्रताप सिंह को उस चक्र को देख भी नहीं सके। अब बुद्धेश्वर चौराहा पर लग रही बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह की प्रतिमा के लिए पिता ने स्मृति को फोन कर एक बार कीर्ति चक्र लाने के लिए कई बार संपर्क किया।
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पिता का कहना है कि स्मृति न तो फोन उठा रही हैं और न ही कोई जवाब दे रही हैं। स्मृति उनके बेटे कैप्टन अंशुमान सिंह की फोटो एल्बम, कपड़े और उनकी यादों से जुड़े सामान भी लेकर मायके होशियारपुर चली गई हैं। सेना के रिकार्ड में कैप्टन अंशुमान के स्थायी पते को बदलकर गुरदासपुर करवा लिया है।
कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने बताया कि बेटे की शादी बहुत धूमधाम से स्मृति से की थी। अंशुमान की बहन नोएडा में बीडीएस की पढ़ाई कर रही थी। शादी के बाद स्मृति भी उनके पास नोएडा आकर रहने लगी।
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कैप्टन अंशुमान पिछले साल 19 जुलाई को बलिदानी हुए तो बहू स्मृति और बेटी को नोएडा से कैब से लखनऊ बुलवाया गया था। हम सभी गोरखपुर गए और वहां पार्थिव आने के बाद देवरिया में अंतिम संस्कार हुआ। कैप्टन अंशुमान की तेरहवीं के अगले ही दिन बहू स्मृति ने वापस घर जाने की जिद कर दी।
स्मृति के भविष्य को लेकर कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार को चिंता सताने लगी। पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि स्मृति बहू नहीं बेटी है। वह चाहेगी तोस्मृति के मायके वालों के साथ मिलकर दाेबारा शादी करेंगे।
पिता रवि प्रताप कहते हैं कि अंशुमान की तेरहवीं के अगले दिन स्मृति अपनी मां के साथ नोएडा चली गई। नोएडा में अंशुमान की तस्वीर, शादी के एल्बम, सर्टिफिकेट, कपड़े और सभी सामान लेकर होशियारपुर में अपने मायके चली गईं।
अंशुमान की बहन जब नोएडा वापस पहुंची तो वहां कोई सामान नहीं था। सेना के नियम के तहत कीर्ति चक्र प्रदान करने के लिए अंशुमान की पत्नी स्मृति के साथ उनकी मां मंजू सिंह को राष्ट्रपति भवन आमंत्रित किया गया था।
राष्ट्रपति से अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह और पत्नी स्मृति दोनों ने कीर्ति चक्र प्राप्त किया। समारोह के समाप्त होने के बाद सैन्य अधिकारियों के कहने पर ही फोटो खिंचाने के लिए कीर्ति चक्र को एक बार मां मंजू सिंह को दिया गया। फोटो खिंचाने के बाद स्मृति ने दोबारा वह कीर्ति चक्र ले लिया। पिता का कहना है कि बहू स्मृति ने बेटे के स्थायी पते को बदल दिया है।