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    Dogs Marriage: हिंदू रीति-रिवाज से हुई कल्लू और भूरी की शादी, बैंड बाजा के साथ पहुंचे बराती; दो महंत बने समधी

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 05 Jun 2022 10:22 PM (IST)

    Dogs Marriage हमीरपुर जिले के दो महंतों ने अपने पालतू कुत्ते कल्लू का विवाह कुतिया भूरी के संग तय किया था। शादी शुभ मुहूर्त पर रविवार को संपन्न हुई। द्वारचार चढ़ावा भांवरों कलेवा की रस्म पूरी कराकर बरात को ससम्मान विदा किया। दोनों को चांदी के जेवरात भी पहनाए गए।

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    पालतू कुत्ते और कुतिया की शादी करा दो महंतों ने खुद को बताया समधी

    लखनऊ, जेएनएन। Dogs Marriage: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। जिले में रविवार को एक शादी दिन भर चर्चा में रही। मनासर बाबा शिव मंदिर सौंखर के महंत द्वारिका दास और बजरंगबली मंदिर परछछ के महंत अर्जुन दास ने अपने पालतू कुत्ते कल्लू और कुतिया भूरी की शादी कराकर खुद को एक-दूसरे का समधी बताया।  हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार रस्में निभाई गईं। बाकायदा बरात की निकासी, द्वारचार, भांवरे, कलेवा और विदाई भी हुई।

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    हमीरपुर जिले के सौंखर एवं सिमनौड़ी गांव के बीहड़ में मनासर बाबा शिव मंदिर है। यहां के महंत स्वामी द्वारिका दास महाराज हैं। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते कल्लू का विवाह मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव के बजरंगबली मंदिर के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज की पालतू कुतिया भूरी के संग तय की थी। शादी शुभ मुहूर्त पर रविवार को हुई।

    दोनों महंतों ने अपने शिष्यों, शुभचिंतकों को कार्ड भेजकर विवाह समारोह में बुलाया। बरात मनासर बाबा शिव मंदिर से गाजे-बाजे के साथ निकली। सौंखर गांव की गलियों में भ्रमण करके धूमधाम से निकासी कराई गई। इसके बाद मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव में बजरंगबली मंदिर के महंत ने बरात की अगवानी की। द्वारचार, चढ़ावा, भांवरों, कलेवा की रस्म पूरी कराकर बरात को ससम्मान विदा किया। दोनों को चांदी के जेवरात भी पहनाए गए।

    बरातियों के लिए कई तरह के व्यंजन तैयार कराए गए। बरात में दोनों पक्षों से तकरीबन 500 लोग शामिल हुए। महंत द्वारिका दास ने बताया, बचपन से पाला है तो अब कुत्ता हमारे परिवार का सदस्य है। समाज को एक संदेश है कि सभी जीवों का महत्व है, जिनसे हमारे आत्मीय संबंध बन जाते हैं।

    वहीं, महंत अर्जुन दास ने कहा कि द्वारिका दास से उनकी काफी पुरानी मित्रता है। अब मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने के लिए हमारा परिवार तो है नहीं। बस इन्हीं जीवों को बचपन से पाला। दोनों जीवों का विवाह करा मित्रता को रिश्ते में बदलकर समधी बन गए हैं।