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सेना भर्ती के मेडिकल टेस्‍ट में होगा बदलाव, अब अभिभावकों की बीमारियों का भी देना होगा ब्योरा

इसके लिए एक अप्रैल से मेडिकल फिटनेस के मापदंड में व्यापक बदलाव होने जा रहे हैैं। अभ्यर्थियों का भर्ती मैदान में होगा मेडिकल।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 06 Mar 2020 07:51 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2020 07:51 AM (IST)
सेना भर्ती के मेडिकल टेस्‍ट में होगा बदलाव, अब अभिभावकों की बीमारियों का भी देना होगा ब्योरा
सेना भर्ती के मेडिकल टेस्‍ट में होगा बदलाव, अब अभिभावकों की बीमारियों का भी देना होगा ब्योरा

लखनऊ, (निशांत यादव)। देश के समक्ष बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार जोर-शोर से काम कर रही है। आधुनिक हथियारों से लेकर तीनों सेनाओं में समन्वय के लिए थिएटर कमांड बनाए जा रहे हैैं। इन सब तैयारियों के बीच खासतौर से थल सेना में नई जान फूंकने के लिए पहले से अधिक फिट और पूरी तरह निरोगी अभ्यर्थियों को ही भर्ती में मौका मिल पाएगा। इसके लिए एक अप्रैल से मेडिकल फिटनेस के मापदंड में व्यापक बदलाव होने जा रहे हैैं। अभ्यर्थी ही नहीं, अब उनके मां-बाप की भी मेडिकल हिस्ट्री चेक की जाएगी।

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सेना में विपरीत हालात के बीच उन क्षेत्रों, खासकर जहां मेडिकल की सुविधा नहीं है वहां जवान अक्सर तनाव में आ जाते हैैं। लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाओं को देखकर सेना के मौजूदा शीर्ष नेतृत्व ने साफ कहा है कि बीमारी और शारीरिक कमजोरी से ग्रस्त जवान हरगिज नहीं चलेंगे। वे न केवल संसाधनों को लेकर समस्या खड़ी करते हैैं। सैन्य ऑपरेशन के समय अपनी टीम के अन्य सदस्यों की जान भी जोखिम में डाल देते हैैं। इसलिए युद्ध के मैदान में टिके रहने के लिए दमखम वाले जवान ही हमें चाहिए। यह तभी संभव होगा, जब भर्ती प्रक्रिया को ही और सख्त किया जाए। खासकर ऐसे नौजवान चुने जाएं, जो पूरी तरह निरोगी हों। इस मॉनीटर‍िंंग के लिए तत्काल प्रभाव से मेडिकल बोर्ड में फेरबदल किया जाए। आम्र्ड फोर्स मेडिकल सर्विस के विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया जाए।

अभी मेडिकल फिटनेस की यह व्यवस्था

  • भर्ती रैली में दौड़ के बाद ग्राउंड पर ही सफल अभ्यर्थियों का विजुअल मेडिकल होता है।
  • इसमें हड्डियों की संरचना, सुनने, बोलने, देखने की क्षमता, दांत व चोट की जांच होती है।
  • यहां फिट घोषित अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में शामिल होते हैैं। लिखित में पास होने के बाद ट्रेनिंग के लिए यूनिट पहुंचते हैं।
  • यदि भर्ती रैली स्थल पर हुए मेडिकल से ट्रेनिंग के लिए यूनिट पहुंचने तक 180 दिन का समय गुजर जाता है तो अभ्यर्थी का फिर से मेडिकल होता है।
  • जबकि 180 दिन का समय न बीतने पर दोबारा मेडिकल नहीं होता।
  • भर्ती रैली स्थल पर हड्डी की बनावट के बाद नाक, कान व गला की जांच होती हैैं।

अब रैली स्थल पर ऐसे होगी मेडिकल जांच

  • ऐसे अभ्यर्थी जिनका बीपी 140/90 से अधिक, धड़कन 120 बीपीएम से अधिक और 60 बीपीएम से कम नहीं होगा तो भर्ती से आउट।
  • वजन यदि तय मानक से अधिक हुआ तो अभ्यर्थी को बॉडी बिल्डिंग, बॉक्सिंग व कुश्ती का प्रमाण पत्र देना होगा।
  • नाखून का असामान्य होना, एचआइवी, टीबी, गंभीर त्वचारोग, गैस्ट्रो डिस्ऑर्डर की अलग से जांच होगी।
  • कमजोरी, थकान, माइग्रेन, फोबिया, अनिंद्रा, सिर की चोट, नींद में चलना व न्यूरो से जुड़ी पूर्व की बीमारियां परखी जाएंगी।
  • आंखों के लेजिक ऑपरेशन कराने वाले अभ्यर्थी अनफिट होंगे, ओपन सर्जरी की दशा मेंं एक साल का समय गुजारना जरूरी।
  • शरीर का ऐसा हिस्सा जहां कटे का निशान हो और उस जगह सूजन होगी तो यह भी अनफिट माना जाएगा।
  • अब हार्निया ऑपरेशन वाले रहेंगे अनफिट, पथरी के ऑपरेशन के बाद गाल ब्लेडर के गायब रहने पर भी अभ्यर्थी भर्ती से बाहर होंगे।
  • अभ्यर्थियों की पेशाब कराकर यूरो सिस्टम की जांच होगी, कान में झुनझुनाहट जैसी ईएनटी की बीमारी को भी बोर्ड जांचेगा।
  • अभ्यर्थी के साथ अभिभावक के दृष्टिदोष के बारे में भी बताना होगा। कार्निया के आसपास धब्बे होना, आंख खुजाया तो भी अनफिट माने जाएंगे।
  • फायर‍िंग के समय एक आंख बंद न हुई तो भी यह बीमारी मानी जाएगी।
  • दाढ़ के दांतों की गिनती होगी। सभी 14 प्वाइंट होंगे लेकिन एक तरफ दाढ़ के दो से कम दांत नहीं होने चाहिए। 

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