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    धार्मिक पर्यटन का मुख्य केंद्र है मां चंद्रिका देवी धाम, तीन दिशाओं में प्रवाहित होती है गोमती नदी की जलधारा

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 07:07 PM (IST)

    लखनऊ आने वाले पर्यटकों के लिए बख्शी का तालाब स्थित मां चंद्रिका धाम धार्मिक पर्यटन का मुख्य केंद्र है। मां के प्रति आस्था और विश्वास का मुख्य केंद्र म ...और पढ़ें

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    लखनऊ के बख्शी का तालाब स्थित चंद्रिका देवी धाम।

    नीरज सिंह राठौर, लखनऊ। लखनऊ आने वाले पर्यटकों के लिए बख्शी का तालाब स्थित मां चंद्रिका धाम धार्मिक पर्यटन का मुख्य केंद्र है। मां के प्रति आस्था और विश्वास का मुख्य केंद्र मां चंद्रिका देवी धाम में मां चंद्रिका देवी पिंडी स्वरूप में स्थापित हैं। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की यहां पूजा होती है।

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    चंद्रिका देवी धाम के अध्यक्ष अखिलेश सिंह बताते हैं कि स्कंद पुराण के अनुसार द्वापर युग में घटोत्कक्ष के पुत्र बर्बरीक ने मां चंद्रिका देवी धाम स्थित महीसागर संगम में तप किया था। यहां स्थापित महिसागर संगम तीर्थ और सुधनवा कुंड की खासियत है कि यह नदी के जल से भरा है और स्नान के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। महीसागर संगम तीर्थ में कभी भी जल का अभाव नहीं होता। इसको देखने की उत्सुकता पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींचती है। नवरात्र में यहां पयर्टकों का तांता लगा रहता है।

    मंदिर परिसर में एक बड़ी यज्ञशाला है, जिसमें निरंतर जलने वाला हवन कुंड भी मौजूद है। महाभारत के महाबली बर्बरीक की सिद्धपीठ होने के कारण, मंदिर में बर्बरीक द्वार पयर्टकों को अपनी ओर खींचता है। मंदिर तीन दिशाओं में गोमती नदी से जिससे एक सुंदर प्राकृतिक वातावरण बनता है।

    इसलिए भी खास है मां चंद्रिका देवी धाम

    मंदिर समिति के सदस्य राजेश सिंह ने बताया कि धाम को लेकर कई मान्यताएं हैं जो इसे पर्यटन का खास केंद्र बनाए हुए है। कथानक है कि दक्ष प्रजापति के श्राप से प्रभावित चंद्रमा को भी श्रापमुक्ति के लिए महीसागर संगम तीर्थ के जल में स्नान करने के लिए यहां आना पड़ा था। त्रेता युग में लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के अधिपति उर्मिला पुत्र चंद्रकेतु को चंद्रिका देवी धाम के तत्कालीन इस वन क्षेत्र में अमावस्या की अर्द्धरात्रि में जब भय व्याप्त होने लगा तो उन्होंने अपनी माता द्वारा बताई गई नव दुर्गाओं का स्मरण किया और उनकी आराधना की।

    तब चंद्रिका देवी की चंद्रिका के आभास से उनका सारा भय दूर हो गया था। राजधानी से करीब 25 किमी दूर मां चंद्रिका देवी धाम स्थापित है। यहां से मात्र 60 किमी दूर सीतापुर जिले में स्थित प्रसिद्ध नैमिषारण्य तीर्थ के विकास के चक्रतीर्थ और ललिता देवी मंदिर जैसे प्रमुख स्थलों को जोड़ने वाले मार्गों को बेहतर बनाया गया है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओ पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा सकें।

    ऐसे पहुंचे चंद्रिका देवी धाम

    हवाई मार्ग: चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मां चंद्रिका धाम टैक्सी या स्थानीय परिवहन किराए पर लेकर बख्शी का तालाब स्थित मंदिर में जाया जा सकता है।

    रेल मार्ग: लखनऊ जंक्शन से बक्शी का तालाब रेलवे स्टेशन उतर कर टैक्सी या बस से जा सकते हैं।

    सड़क मार्ग: लखनऊ और आसपास के शहरों से परिवहन निगम की बसें, टैक्सियां और आटो उपलब्ध हैं। मंदिर सड़क मार्ग पर है और आसानी से पहुंचा जा सकता है।

    मुख्य पयर्टक स्थल

    हनुमान मंदिर: अलीगंज स्थित पुराना हनुमान मंदिर हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक है। अवध के नवाब मुहम्मद अली की बेगम आलिया ने मंदिर का निर्माण कराया है। देश का इकलौता मंदिर है जिसके शिखर पर चांद का निशान है।

    देवा शरीफ: चंद्रिका देवी मंदिर से करीब 50 किमी दूर स्थित यह सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह है, जो सभी धर्मों के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

    नैमिषारण्य: चंद्रिका देवी मंदिर से करीब 60 किमी दूर गोमती नदी के किनारे स्थित यह हिंदू पौराणिक महत्व का स्थान है, जहां हनुमान गढ़ी, बालाजी मंदिर और मां ललिता देवी मंदिर के भी दर्शन किए जा सकते हैं।

    पक्षी विहार: लखनऊ से करीब 40 किमी दूर नवाबगंज पक्षी अभयारण्य (चंद्रशेखर आज़ाद पक्षी विहार) भी आप घूम सकते हैं। यह एक प्रमुख पक्षी अभयारण्य है, जो प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए एक बेहतरीन जगह है।

    यहां रुक सकते हैं पर्यटक

    पर्यटक लखनऊ में होटलों में रुक सकते हैं क्‍योंकि लखनऊ से चंद्रिका देवी मंदिर की दूरी मात्र 25 किमी है। निजी वाहन या टैक्सी से मां चंद्रिका देवी धाम के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर परिसर में भी यात्री निवास की निश्शुल्क सुविधा है। राजधानी से ही आसपास के पर्यटक स्थलों का भ्रमण किया जा सकता है।