बहराइच में पहली बार लगेगा महाराजा सुहेलदेव का विजय मेला, CM Yogi आज करेंगे भव्य उद्घाटन
बहराइच में महाराजा सुहेलदेव राजभर की याद में विजय दिवस का आयोजन होगा जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। इस अवसर पर उनकी अश्वारोही प्रतिमा का अनावरण होगा। सरकार इस आयोजन के माध्यम से एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करेगी। इस वर्ष सैयद सालार मसूद गाजी के मेले की अनुमति नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि इस आयोजन से राजग गठबंधन को लाभ होगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बहराइच के चित्तौरा में मंगलवार को महाराजा सुहेलदेव राजभर की याद में विजय दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर आयोजित होने वाले मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे जबकि विशिष्ट अतिथि सुभासपा अध्यक्ष व पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर होंगे। प्रदेश सरकार इस आयोजन के माध्यम से बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करेगी।
मुख्यमंत्री चित्तौरा के समीप स्थापित की गई महाराजा सुहेलदेव राजभर की अश्वारोही प्रतिमा का अनावरण करने के बाद जनसभा को संबोधित करेंगे। 40 फीट ऊंची महाराजा सुहेलदेव की कांस्य प्रतिमा का निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी की देखरेख में कराया गया है। प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री रामसुतार ने प्रतिमा को बनाया है।
महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम से आयोजित होने वाले इस मेले के आयोजन को इसलिए इतना महत्व दिया जा रहा है क्योंकि बहराइच में हर साल सैयद सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित होते रहे मेले के आयोजन की अनुमति इस साल नहीं दी गई।
10 जून 1034 को बहराइच में हुए युद्ध में महाराजा सुहेलदेव राजभर ने आक्रांता सालार मसूद गाजी को मार गिराया था। उस ऐतिहासिक जीत की स्मृति में अब विजय दिवस मनाने का यह कार्यक्रम तय किया गया है। राजनीतिक हल्के में इस मेले के आयोजन के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि इस आयोजन का सीधा लाभ भाजपा नेतृत्व वाले राजग गठबंधन को होगा। राजभर समाज को पूरी तरह राजग गठबंधन से जोड़ने की कोशिश होगी। प्रदेश के 62 विधानसभा क्षेत्रों में राजभर समाज का सीधा प्रभाव माना जाता है।
आयोजन को लेकर सोमवार को सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव डा. अरविंद राजभर ने लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। मुलाकात में बहराइच में आयोजित होने वाले मेले पर बातचीत हुई।
ओम प्रकाश राजभर कह चुके हैं कि महाराजा सुहेलदेव की विजय भारत के सम्मान का प्रतीक थी। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर महाराजा सुहेलदेव राजभर की वीरगाथा को इतिहास की पुस्तकों से दूर रखने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि यह सवाल सिर्फ राजनीतिक नहीं है, यह हमारी अस्मिता, विरासत और बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।