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    दिल्ली में नहीं चला मायावती और आकाश आनंद का जादू, बसपा के राष्ट्रीय स्तर के दर्जे पर मंडराया खतरा

    Delhi Assembly Result दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को फिर से झटका लगा है। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी और उसके वोट भी कम हो गए। मायावती के भतीजे आकाश आनंद की सक्रियता भी कोई कमाल नहीं कर सकी। लगातार खराब प्रदर्शन से उत्तर प्रदेश के वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की राह बसपा के लिए और कठिन होती दिखाई दे रही है।

    By Ajay Jaiswal Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 09 Feb 2025 12:59 PM (IST)
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    बसपा प्रमुख मायावती व आकाश आनंद (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कभी वंचित-शोषित समाज पर एकछत्र राज करने वाली बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदों को एक और चुनाव ने बड़ा झटका दिया है। महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का किसी सीट पर खाता नहीं खुला है। इतना ही नहीं बसपा प्रमुख मायावती के खत्म होते जादू से दिल्ली में पार्टी का जनाधार और खिसक गया है। भतीजे आकाश आनंद की सक्रियता भी दिल्ली में कोई कमाल नहीं कर सकी।

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    पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में शून्य पर सिमटने के बाद उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव के साथ ही महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा चुनाव में भी बसपा की दुर्गति देखने को मिली थी। राज्यों के चुनाव में बसपा न कोई जगह बना सकी थी और न ही उसका जनाधार बढ़ा था बल्कि पांच वर्ष में और घटा ही था।

    पहले से पार्टी ने और खराब प्रदर्शन किया

    दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन पहले से और खराब हुआ है। पांच वर्ष पहले 2020 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा किसी भी सीट पर जीती नहीं थी लेकिन उसे 66,141 (0.74 प्रतिशत) वोट मिले थे। इस बार चुनाव में भी पार्टी का कहीं खाता तो नहीं खुला लेकिन उसके वोट और घट गए। अबकी पार्टी को 55,066(0.58 प्रतिशत) ही वोट हासिल हुए हैं।

    मायावती ने अपने भतीजे व पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद को दिल्ली के चुनाव में खासतौर से लगाते हुए बड़ी जीत का दावा किया था लेकिन जीतना तो दूर पार्टी के पहले से लगभग 11 हजार वोट और घट गए हैं।

    बसपा के लिए मुश्किल हुई 2027 की राह

    लगातार खराब प्रदर्शन से उत्तर प्रदेश के वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की राह बसपा के लिए और कठिन होती दिखाई दे रही है। पहले हरियाणा-जम्मू-कश्मीर फिर महाराष्ट्र-झारखंड और अब दिल्ली में भी खराब प्रदर्शन से बसपा के राष्ट्रीय स्तर के दर्जे पर भी बड़ा खतरा माना जा रहा है।

    मिल्कीपुर सीट पर भाजपा का कब्जा

    वहीं दिल्ली विधानसभा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में सबसे चर्चित सीट मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के भी नतीजे सामने आए। भाजपा के चंद्रभानु पासवान ने 61,710 मतों के अंतर से जिले के विधानसभा चुनाव इतिहास में सबसे बड़ी जीत प्राप्त कर कीर्तिमान रच दिया। उन्होंने 1,46,397 रिकार्ड मत प्राप्त किए। जिले में अब तक के विस चुनाव इतिहास में किसी उम्मीदवार ने इतने वोट नहीं प्राप्त किए थे। सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को 84,687 मतों से संतोष करना पड़ा। जबकि बसपा ने उपचुनाव में अपना कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा था।

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