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    यूपी के इस नेशनल हाईवे को बनाया जाएगा सिक्स लेन, जमीन अधिग्रहण होगा या नहीं? NHAI ने कर दिया क्लियर

    Updated: Fri, 10 Oct 2025 03:27 PM (IST)

    भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने लखनऊ-सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग को चार से छह लेन करने का निर्णय लिया है। राजमार्ग पर वाहनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला किया गया है। एनएचएआइ का कहना है कि भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे प्रोजेक्ट जल्दी पूरा हो जाएगा। मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है और स्वीकृति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा।

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    यूपी के इस नेशनल हाईवे को बनाया जाएगा सिक्स लेन, जमीन अधिग्रहण होगा या नहीं? NHAI ने कर दिया क्लियर

    अंशू दीक्षित, लखनऊ। वाहनों की गति बढ़ाने और ट्रैफिक लोड को कम करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग को चार से छह लेन करने का निर्णय किया है। वर्तमान में इस राजमार्ग पर 38 हजार से अधिक हल्के व भारी वाहनों का संचालन हो रहा है। इसे देखते हुए एनएचएआइ ने यह निर्णय किया है।

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    प्राधिकरण ने एक सर्वे कराकर इसका पूरा ब्योरा एकत्रित कर लिया है। अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार होने के बाद काम भी गति पकड़ेगा। छह लेन होने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों का संचालन कई दशक तक सुगमता से हो सकेगा।

    वर्तमान में छह लेन बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। एनएचएआइ का दावा है कि वर्तमान में जो जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग के दाएं व बाएं पड़ी है, उससे बड़ी आसानी से जरूरतें पूरी की जा सकेंगी। इसलिए बजट सिर्फ सड़क बनाने के लिए चाहिए होगा। अमूमन जमीन का मुआवजा देने में राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने से ज्यादा खर्चा आ जाता है।

    वर्तमान में लखनऊ सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग चार लेन का है। पिछले पंद्रह सालों में यहां ट्रैफिक का लोड हर साल बढ़ता गया। मामपुर इंटौजा से गुजरने वाले वाहनों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। टोल से निकलवाएं गए आंकड़े और सर्वे के आधार एकत्रित हल्के व भारी वाहनों की संख्या 38 हजार के से अधिक पहुंच रही है।

    ऐसे में अगर समय रहते सड़कों का चौड़ीकरण यानी चार से छह लेन बनाने का काम शुरू नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम व दुर्घटनाओं की संख्या बढ़नी तय है। एनएचएआइ लखनऊ द्वारा पूरा प्रस्ताव बनाकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेज दिया गया है। अधिकारियों को हरी झंडी मिलने का इंतजार है।

    प्राधिकरण इस काम को प्रमुखता से करवाना चाहता है। प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिलते ही टेंडर प्रकिया शुरू करने की बात कही जा रही है और दो साल से भी कम समय में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की बात भी। अफसरों का कहना है कि जब जमीन अधिग्रहण नहीं करना तो सड़क बनाने में एक से डेढ़ साल बहुत है। अमूमन जमीन लेने की प्रकिया लंबी होती है और उसमें समय लग जाता है लेकिन इस प्रोजेक्ट में ऐसा कुछ नहीं है।

    टोल भी अप्रैल से एनएचएआइ संभालेगा 

    सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित टोल अभी निजी हाथों में है। इसके संचालन की अवधि अप्रैल 2026 में खत्म हो रही है। इसके बाद मामपुर इंटौजा स्थित टोल फिर से एनएचएआइ के हाथ में आ जाएगा। प्राधिकरण सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों का सर्वे कराकर नए सिरे से टेंडर प्रकिया करके टोल संचालित करवाएगा। यह एक ऐसा टोल है, जहां आए दिन लाइन लगी रहती है। इसलिए यहां के स्कैनर भी बदलवाए जाएंगे और इंटरनेट की बेहतर कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया जाएगा।