मुंबई की तरह लखनऊ को भी बनाया जाएगा सीसीटीवी सिटी
इस व्यवस्था को अधिकारियों ने नए साफ्टवेयर के माध्यम से अपने फोन के माध्यम से ही सुचारू रूप से चलाने का दावा किया था, लेकिन यह व्यवस्था फ्लॉप रही।
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। राजधानी पुलिस मुंबई की तर्ज पर कैमरों से ही अपराधियों व ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों की पहचान करके सख्त कार्रवाई करने के मूड में है। इसके लिए 'स्मार्ट सिटी सर्विलांस सिस्टम दृष्टि' के कंट्रोल रूम को और अधिक सशक्त बनाने की तैयारी जोरों पर हैं। शहर में सभी प्रमुख चौराहों पर कैमरे लगाए जाएंगे, जो कैमरे खराब हैं वो ठीक होंगे।
मॉडर्न कंट्रोल रूम (एमसीआर) के एएसपी विनोद कुमार पांडेय के मुताबिक सभी प्रमुख 70 चौराहों पर 280 सीसीटीवी कैमरे पहले से ही लगे हैं। इस वर्ष और कैमरे लगाने की योजना है। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी सिटी बनने से यह लाभ होगा कि कैमरों से ही अपराधियों के साथ ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले भी पहचान लिए जाएंगे। कंट्रोल रूम से संबंधित थानों और ट्रैफिक पुलिस को फुटेज भेजी जाएगी, जिसके बाद कार्रवाई तय है।
इस समय कई कैमरे ठीक से काम भी नहीं कर रहे हैं, इससे अपराधियों की पहचान करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जल्द कैमरे भी दुरुस्त कर लिए जाएंगे। तत्कालीन डीआइजी आरके चतुर्वेदी ने दृष्टि के कंट्रोल रूम से पूरे शहर की मॉनीटरिंग की व्यवस्था की थी।
उन्होंने सभी प्रमुख चौराहों पर चेकिंग अभियान चलवाकर पुलिस और जनता दोनों की मॉनीटरिंग कंट्रोल रूम से ही की थी, कुछ थानेदारों के अभियान में शिक्षिलता बरतने पर उन्होंने कंट्रोल रूम से ही उन्हें कैमरे के माध्यम से पहचान करके कार्रवाई सुनिश्चित की थी, जिससे पुलिसकर्मियों में यह भय था कि अब कुछ गड़बड़ करेंगे तो अधिकारियों की निगाह में आ जाएंगे।
इस व्यवस्था को अधिकारियों ने नए साफ्टवेयर के माध्यम से अपने फोन के माध्यम से ही सुचारू रूप से चलाने का दावा किया था, लेकिन यह व्यवस्था फ्लॉप रही। आरके चतुर्वेदी के बाद किसी अधिकारी ने इस तरह कंट्रोल रूम से चेकिंग अभियान की मॉनीटरिंग भी नहीं की। कैमरों से अपराधियों की पहचान कर कार्रवाई के दावे भी फेल साबित हो रहे हैं। इस संबंध में एएसपी एमसीआर ने बताया कि कैमरों की क्वालिटी ठीक नहीं है, अब जीओ कंपनी से और नए कैमरे जल्द लगवाए जाएंगे, जिसका नाइट विजन पहले की अपेक्षा अधिक हाई होगा, जिसकी फुटेज स्पष्ट होगी।
एएसपी एमसीआर के मुताबिक ट्रैफिक नियम तोड़ने पर गाड़ी का नंबर कैमरे से पहचान लिया जाता है। नंबर पहचानने के बाद कंट्रोल रूम से यातायात विभाग को फुटेज भेजी जाती है, संबंधित व्यक्ति के खिलाफ यातायात विभाग से चालान भेजा जाता है। कंट्रोल रूम में फुटेज महीनेभर तक सुरक्षित रहती है।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने किया था उद्घाटन: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 12 अप्रैल 2015 को इसका उद्घाटन किया था, दृष्टि का कंट्रोल रूम उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था। बीते दिनों करोड़ों रुपये का निजी कंपनी को भुगतान न होने के चलते सभी प्रमुख लगे 280 सीसीटीवी कैमरे बंद होने की कगार पर आ गए थे। निजी कंपनी को बिजली, सीसीटीवी कैमरे, मेंटीनेंस समेत अन्य किसी भी चीज का संबंधित कंपनी को शासन स्तर से बिल का भुगतान नहीं हुआ था। गोमतीनगर के विपिनखंड स्थित चीनी निगम की बिल्डिंग में दृष्टि का कंट्रोल रूम संचालित है।
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