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    1857 Freedom Struggle: क्रांतिकारियों के लहू से लाल हुई थी लखनऊ की सफेद बारादरी, बेगम हजरत महल ने लिया था अंग्रेजों से लोहा

    By Rafiya NazEdited By:
    Updated: Mon, 09 Aug 2021 08:30 AM (IST)

    चार मई 1857 को स्वाधीनता की जंग के दौरान बेगम हजरत महल ने बारादरी के तहखाने में अनाज के भंडार बनाए थे जहां क्रांतिकारी भोजन करने के साथ ही फिरंगियों से दो-दो हाथ करने की रणनीति बनाते थे।

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    लखनऊ की सफेद बारादरी में देशभक्तों के लिए होता था भोजन का इंतजाम।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता। देश की आजादी में क्रांतिकारियों के साथ ही इमारतों ने भी अपना फर्ज निभाया था। स्वतंत्रता की आंधी में खुद चट्टान की तरह खड़ी रहने वाली शहर की सफेद बारादरी का रंग क्रांतिकारियों के लहू से लाल हो गया था। चार मई 1857 को स्वाधीनता की जंग के दौरान बेगम हजरत महल ने बारादरी के तहखाने में अनाज के भंडार बनाए थे। जहां क्रांतिकारी भोजन करने के साथ ही फिरंगियों से दो-दो हाथ करने की रणनीति बनाते थे। फिरंगियों ने न केवल सफेद बारादरी पर हमला किया था बल्कि यहां न जाने कितने क्रांतिकारियों को मौत के घाट भी उतार दिया था।

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    कांतिकारियों के खून से सजी है बारादरी: नवाब वाजिद अली शाह के शासनकाल 1840 से 1856 के बीच इसका निर्माण किया गया था। लाल पत्थरों से बनी इस इमारत में नवाब मेहमान नवाजी के लिए इसका इस्तेमाल करते थे। 30 जून 1857 को जब इस्माइलगंज में क्रांतिकारी अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे तो इस दौरान भोजन का पूरा प्रबंधन बारादरी के तहखाने से होता था। क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजों को शिकस्त देने के साथ ही बेगम हजरतमहल तहखाने में स्वयं जाकर भोजन का न केवल इंतजाम देखती थीं बल्कि अपने बेटे और अन्य रणनीतिकारों के संग बैठक कर लड़ाई का मसौदा भी तैयार करती थीं। 40 दिनों तक चले युद्ध के दौरान क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से लोहा तो लिया, लेकिन वे अंग्रेजों पर विजय पाने में नाकामयाब रहे। फिरंगी सेना ने रेजीडेंसी के अंदर और बाहर इस कदर गोलीबारी की कि उसकी चिंगारी सफेद बारादरी तक पहुंच गई। मेजर बर्ड ने भी अपने लेख में इसका जिक्र किया है जिसमे बारादरी के तहखाने में क्रांतिकारियों की सेवा करने वाले बेनाम क्रांतिकारियों पर अंग्रेजों ने जुल्म कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। आयोजनों की खुशी में शरीक होने वाली सफेद बारादरी अपने आंचल में क्रांतिकारियों के जख्मों को आज भी संजोए हुए है।