Lucknow News: व्यंग्यकार गोपाल चतुर्वेदी का निधन, पत्नी के देहांत के बाद टूटा पहाड़
लखनऊ के प्रसिद्ध व्यंग्यकार गोपाल चतुर्वेदी का पत्नी के निधन के छह दिन बाद ही देहांत हो गया। उन्होंने भारतीय रेल सेवा में कार्य किया और दो दशक से स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। उन्हें यश भारती और सुब्रमण्यम भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गोपाल चतुर्वेदी का अंतिम संस्कार बैकुंठ धाम में किया जाएगा। उनके व्यंग्य संग्रह कुरसीपुर का कबीर और सत्तापुर के नकटे काफी लोकप्रिय रहे।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। पत्नी निशा चतुर्वेदी के निधन के छह दिनों बाद गुरुवार देर रात व्यंग्यकार गोपाल चतुर्वेदी का भी देहांत हो गया। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग में आयुक्त रहीं निशा चतुर्वेदी का देहावसान गत 18 जुलाई को हुआ था।
गोपाल चतुर्वेदी का अंतिम संस्कार बैकुंठ धाम में किया जाएगा। भारतीय रेल सेवा में अधिकारी रह चुके गोपाल चतुर्वेदी करीब दो दशक से स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा यश भारती और केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा सुब्रमण्यम भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
गोपाल चतुर्वेदी का जन्म 15 अगस्त 1942 को लखनऊ में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में हुई थी। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में परास्नातक किया और फिर भारतीय रेल सेवा में अधिकारी के रूप में चयनित हुए।
वर्ष 1965 से 1993 तक रेल सहित कई मंत्रालयों में उच्च पदों पर काम किया। हिंदी साहित्य में उनकी पहचान उत्कृष्ट व्यंग्यकार के रूप में थी। वह गद्य और पद्य दोनों विधाओं में लिखते थे। उनके कविता संग्रह 'कुछ तो हो' और 'धूप की तलाश' प्रकाशित हुए।
व्यंग्य संग्रह में 'धांधलेश्वर', 'अफसर की मौत', 'दुम की वापसी', 'राम झरोखे बैठ के', 'फाइल पढ़ी', 'आदमी और गिद्ध', 'कुरसीपुर का कबीर', 'फार्म हाउस के लोग' और 'सत्तापुर के नकटे' रचनाएं लोकप्रिय रहीं।
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