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    लखनऊ: अपर आयुक्त के चपरासी को चार वर्ष की जेल, रिश्वत लेने के मामले में हुई सजा

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 09:18 PM (IST)

    लखनऊ में, रिश्वत लेने के मामले में अपर आयुक्त चकबंदी के चपरासी राजकुमार सिंह को पीसी एक्ट के विशेष न्यायाधीश ने चार वर्ष की सजा सुनाई है और बीस हजार क ...और पढ़ें

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    विधि संवाददाता, लखनऊ। रिश्वत लेने के मामले में अपर आयुक्त चकबंदी के चपरासी राजकुमार सिंह को पीसी एक्ट के विशेष न्यायाधीश श्याम मोहन जायसवाल ने चार वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोषी पर बीस हजार रूपये का जुर्माना लगाया है।

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    इस मामले में बाराबंकी के रहने वाले शिकायतकर्ता राजेश कुमार सिंह ने 11 जून 2018 को पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में प्रार्थना पत्र देते हुए बताया कि गांव में चकबंदी योजना चल रही है। गांव के कुछ भूमाफिया चकबंदी नहीं होने दे रहे हैं। इस संबंध में जब शिकायतकर्ता चकबंदी अधिकारियों से मिला तो उन्होंने कहा कि चकबंदी आयुक्त लखनऊ के कार्यालय में शिकायत लेकर जाओ तो उसका काम हो जाएगा।

    जिसके बाद शिकायतकर्ता इंदिरा भवन में चकबंदी आयुक्त कार्यालय में प्रार्थना पत्र लेकर गया। जहां उसकी मुलाकात कार्यालय के बाहर बैठे उनके चपरासी राजकुमार से हुई। दोषी ने शिकायतकर्ता की मुलाकात अपर आयुक्त सुरेश यादव व ज्वाइंट डायरेक्टर रविंद्र दुबे से करवाई। उक्त लोगो ने दोषी से कहा कि वह शिकायतकर्ता को समझा दे कि काम कैसे होता है।

    दोषी ने शिकायतकर्ता से काम कराने के लिए दस हजार रूपये की मांग की और कहा कि जब तक पैसे नहीं दोगे तब तक काम नहीं होगा। शिकायतकर्ता ने रिश्वत की मांग की शिकायत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम विभाग से कर दी। जिसके बाद विभाग की ट्रैप टीम ने 13 जून 2018 को दोषी को रिट्ज होटल के सामने से रिश्वत के दस हजार रूपये लेते हुए स्वतंत्र गवाहो के सामने गिरफ्तार कर लिया।

    न्यायालय ने अपने आदेश में विभाग द्वारा की गई विवेचना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चकबंदी अधिकारियों के विरुद्ध विवेचक ने जांच न कर उक्त दोनों लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया है। साथ ही आदेश की एक प्रति पुलिस महानिदेशक, एंटीकरप्शन, तथा उत्तर प्रदेश शासन को भी भेजने का आदेश दिया है।