उच्च शिक्षा में पारदर्शिता के लिए योगी सरकार का बड़ा फैसला, सभी विश्वविद्यालयों- कॉलेजों की होगी सघन जांच
सीएम योगी ने उच्च शिक्षा में पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की गहन जांच के आदेश दिए हैं। हर मंडल में जांच टीम गठित की जाएगी जो यह सुनिश्चित करेगी कि संस्थान नियमों का पालन कर रहे हैं। अवैध प्रवेश पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और छात्रों की फीस वापस की जाएगी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों की मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की सघन जांच के आदेश दिए हैं।
अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश है कि इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हर जिले में जांच पूरी करने के बाद 15 दिन के भीतर शासन को पूरी रिपोर्ट भेजनी होगी।
उच्च शिक्षण संस्थानों की जांच के लिए हर मंडल में विशेष जांच टीम गठित की जाएगी। मंडलायुक्त की देखरेख में बनने वाली इन टीमों में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, एक पुलिस विभाग का अधिकारी और एक शिक्षा विभाग का अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल होंगे।
यह टीमें जमीनी स्तर पर जाकर संस्थानों की जांच करेंगी और यह देखेगी कि प्रवेश और पाठ्यक्रम संचालन नियमों के अनुसार हो रहे हैं या नहीं। जांच के दौरान सभी शैक्षणिक संस्थानों से शपथपत्र लेना अनिवार्य होगा।
इस शपथपत्र में संस्थानों को यह साफ-साफ बताना होगा कि वे केवल उन्हीं कोर्सों का संचालन कर रहे हैं जिन्हें विश्वविद्यालय, बोर्ड या संबंधित नियामक निकाय से मान्यता प्राप्त है। साथ ही, संस्थानों को संचालित सभी कोर्सों की सूची और उनके मान्यता-पत्र भी प्रस्तुत करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी भी छात्र का दाखिला बिना मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम में नहीं होना चाहिए। अगर जांच में यह पाया गया कि किसी संस्थान ने बिना मान्यता प्राप्त कोर्स शुरू किया है या अवैध प्रवेश लिया है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे संस्थानों को छात्रों से वसूली गई पूरी फीस ब्याज सहित वापस करनी होगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि छात्रों का भविष्य किसी भी हालत में खतरे में नहीं डाला जाएगा। शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों का भविष्य सरकार की पहली प्राथमिकता है।
इसीलिए कोई भी संस्थान छात्रों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी स्तर पर ढिलाई पाई गई तो संबंधित अधिकारियों और संस्थानों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री से मिले थे एबीवीपी के पदाधिकारी:
इस कार्रवाई को शिक्षा जगत में बड़ा कदम माना जा रहा है, क्योंकि लंबे समय से फर्जी मान्यता और अवैध प्रवेश की शिकायतें सामने आती रही हैं। इस सख्ती से छात्रों और अभिभावकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
अभी कुछ दिन पहले बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज और शैक्षणिक अनियमितताओं के मामले सामने आए थे। इसे लेकर रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें इन मामलों की जानकारी दी थी। माना जा रहा है कि इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने जांच के निर्देश दिए।
प्रदेश में 47 निजी विश्वविद्यालयों में 2.80 लाख विद्यार्थी:
प्रदेश में वर्तमान में 47 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं। इनमें करीब 2 लाख 80 हजार से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। कुछ संस्थानों के खिलाफ मान्यता, फर्जी अंकतालिका और अव्यवस्था की शिकायतें आती रही हैं।
हाल ही में हापुड़ की मोनार्ड यूनिवर्सिटी में फर्जी अंकतालिका का मामला सामने आया था, जिसकी जांच जारी है। वहीं बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप विश्वविद्यालय में विधि कोर्स की मान्यता को लेकर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। कई संस्थानों पर केवल डिग्री बांटने के भी आरोप लगते रहे हैं।
मानक के हिसाब से शिक्षक न होने की भी शिकायत आती रही है। इसे लेकर उच्च शिक्षा परिषद ने भी कुछ दिन जांच टीम गठित की थी, लेकिन विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया चलने की वजह से परिषद की जांच शुरू नहीं हो पाई।
पोर्टल से जुड़ेंगे निजी विश्वविद्यालय
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि सरकार अब इस मामले में सख्त रुख अपना रही है। इसके लिए एक विशेष समिति गठित की गई है। समिति सभी निजी विश्वविद्यालयों से शपथ पत्र लेगी, जिसमें उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उनके यहां कौन-कौन से कोर्स संचालित हैं, उनकी मान्यता की स्थिति क्या है और उनमें कितने छात्र पढ़ रहे हैं।
साथ ही अब एक नया पोर्टल तैयार किया जा रहा है। यह पोर्टल समर्थ पोर्टल की तरह होगा और इसमें प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को जोड़ा जाएगा। इसके माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
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