यूपी में उद्योगों को मिलेगी राहत, कारखानों से खतरनाक रसायन निकलने पर सजा होगी समाप्त
UP News | उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए कारखानों से निकलने वाले खतरनाक रसायनों पर उद्योगपतियों को सजा की जगह आर्थिक दंड का प्रावधान किया जा रहा है। अब 15 लाख रुपये तक का जुर्माना या प्रतिदिन 10 हजार रुपये का दंड लगाया जा सकता है। इस बदलाव से लगभग 80 हजार जल आधारित उद्योगों को लाभ होगा। ।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए अब कारखानों से निकलने वाले खतरनाक रसायनों के मामले में उद्योगपतियों को सजा देने का प्रविधान समाप्त किए जाने की तैयारी है।
खतरनाक रसायनों के निकलने पर अब उद्योगों के संचालकों पर अधिकतम 15 लाख रुपये या 10 हजार रुपये प्रतिदिन का आर्थिक दंड लगाया जाएगा। इस संकल्प को विधानमंडल में पेश किया गया है। इस बदलाव के बाद राज्य के जल आधारित 80 हजार से ज्यादा उद्योगों को सीधा लाभ होगा।
केंद्र सरकार ने जल प्रदूषण संबंधी नियमों में बदलाव किया है। जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम-2024 को संसद ने 15 फरवरी 2024 को मंजूरी दी थी। अब इसे उत्तर प्रदेश में भी लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है।
पिछले दिनों औद्योगिक विकास विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा अन्य संबंधित विभागों के साथ हुई बैठक में इस पर मंथन किया गया था। इसके बाद इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा गया था। कैबिनेट से स्वीकृति के बाद मंगलवार को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा.अरुण कुमार सक्सेना ने इस संकल्प को विधानमंडल के पटल पर रखा।
अभी तक राज्य में जल आधारित उद्योगों को प्रदूषण के मद्देनजर रेड, ओरेंज और व्हाइट श्रेणियों में रखा जाता है। केंद्रीय व राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इसके मानक तय किए गए हैं। इसके अनुसार कारखानों से खतरनाक रसायन के निकलने पर पांच वर्ष तक की सजा का प्रविधान है।
राज्य में हर वर्ष करीब 500 से ज्यादा उद्योगों पर जल प्रदूषण से संबंधित मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस बदलाव के अनुसार राज्य में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति भी केंद्र सरकार द्वारा तैयार की जाने वाली नियमावली के तहत की जाएगी। बीते दिनों इन्वेस्ट यूपी ने भी उद्योगों के विभिन्न मामलों में सजा देने की बजाय आर्थिक दंड लगाने का मुद्दा शासन के सामने उठाया था।
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