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    दुग्ध उत्पादन में नंबर-1 यूपी, CM योगी ने बताया- नस्ल सुधार से कैसे बढ़ेगा पशुपालकों का मुनाफा?

    By Jagran NewsEdited By: Sakshi Gupta
    Updated: Sat, 12 Jul 2025 07:44 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार गोवंश के नस्ल सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिसके लिए केंद्र सरकार सहायता प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुग्ध उत्पादन में प्रदेश पहले स्थान पर है और नस्ल सुधार से पशुपालक समृद्ध होंगे। सरकार गोवंश संरक्षण के लिए आश्रय स्थल चला रही है और कुपोषित परिवारों को गायें दे रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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    गोवंश के नस्ल सुधार से ही होगी पशुपालक की समृद्धि: योगी।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में गोवंश के नस्ल सुधार की मुहिम केंद्र सरकार के सहयोग से अब और तेज की जाएगी। शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में कृषि व पशुधन एक-दूसरे के पूरक हैं। पीएम मोदी की प्रेरणा से उप्र में भी इन दोनों क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए हैं।

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    उप्र दुग्ध उत्पादन में देश में नंबर एक पर है। पशुधन से अधिक और गुणवत्ता युक्त उत्पादन पाने के लिए नस्ल सुधार पर और जोर देना होगा। गोवंश की नस्ल बेहतर से ही पशुपालक समृद्ध होगा।

    इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और उप्र पशुपालन विभाग एवं पशुधन विकास परिषद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘भारत में पशु नस्लों का विकास कार्यशाला’ में मुख्यमंत्री ने कहा कि देसी पद्धतियों से जिन्होंने नस्ल को सुधारने के लिए प्रयास किए, उन्होंने अच्छी नस्ल को बढ़ाने में सफलता प्राप्त कर ली। जहां प्रयास नहीं हुए, वहां पशुधन पिछड़ा हुआ था।

    सरकार द्वारा गोवंश के संरक्षण का काम किया जा रहा है। वर्तमान में गो आश्रय स्थलों में 12 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। सहभागिता योजना में सवा लाख पशुपालको दो लाख से अधिक गाेवंश दिया गया है। कुपोषित परिवारों को आश्रय स्थलों से एक-एक गाय दी गई है।

    अब तक 10 हजार से अधिक परिवार इसका लाभ ले चुके हैं। गो सेवा आयोग, गो-आश्रय स्थलों की व्यवस्था और गोवंश की नस्ल सुधारने के अभियान को आगे बढ़ा रहा है। उसे पशुपालकों को प्रशिक्षित करने की भी जिम्मेदारी साैंपी गई है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड का अत्यधिक प्रयोग नदियों को भी प्रदूषित करता है। ऐसे में गो आधारित प्राकृतिक खेती महत्वपूर्ण है। प्रदेश में मां गंगा के तटवर्ती 27 जिलों और बुंदेलखंड के सात जिलों में प्राकृतिक खेती को विशेष अभियान चल रहा है।

    भारत सरकार ने भी इसे मंजूरी दी है। पशुओं की खुरपका व मुंहपका आदि बीमारियों से निपटने के लिए टीकाकरण हो रहा है। इसके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है। वहीं मत्स्य उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्यों में सम्मिलित है।

    अंडा उत्पादन और कुक्कुट पालन में भी प्रदेश ने बड़ी छलांग लगाई है। कार्यक्रम में केंद्रीय पंचायतीराज तथा मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में उप्र में अच्छा काम हाे रहा है। नस्ल सुधार आदि अन्य कामों में केंद्र द्वारा पूरा सहयोग दिया जाएगा।

    कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पशुपालन अवसंरचना विकास निधि की अमेठी, बरेली एवं मथुरा परियाेजनाओं और गोरखपुर के कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान का उद्घाटन किया। प्रजनक संघों की स्थापना की रूपरेखा संबंधी पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

    इस दौरान अरुणाचल प्रदेश के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा, डेयरी विकास मंत्री गेब्रियल डेनवांग वांगसू, प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, केंद्रीय सचिव पशुपालन एवं डेयरी अल्का उपाध्याय, केंद्रीय अपर सचिव पशुपालन एवं डेयरी वर्षा जोशी, केंद्रीय पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्रा, प्रदेश के प्रमुख सचिव पशुपालन अमित कुमार घोष आदि उपस्थित थे।