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    ग्रीन प्लस से ग्रीन ट्रिपल प्लस तक... हरित आवरण में 25 प्रतिशत वृद्धि पर ही बनेंगे अल्टीमेट ग्रीन सिटी

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 06:00 AM (IST)

    लखनऊ में पर्यावरण संरक्षण के लिए शहरी हरित नीति लागू की गई है। इसके तहत शहरों को अल्टीमेट ग्रीन सिटी की रैंक हासिल करने के लिए असाधारण प्रदर्शन करना होगा। सरकार ने रैंकिंग के मानक तय किए हैं जिनमें हरित आवरण में वृद्धि और जीसीएम में उच्च अंक शामिल हैं। शहरों को ग्रीन ग्रीन प्लस आदि श्रेणियों में बांटा जाएगा। नागरिकों की राय भी इसमें महत्वपूर्ण होगी।

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    हरित आवरण में 25 प्रतिशत वृद्धि पर ही बनेंगे अल्टीमेट ग्रीन सिटी।

    दिलीप शर्मा, लखनऊ। पर्यावरण सरंक्षण के लिए लागू की गई शहरी हरित नीति में अल्टीमेट ग्रीन सिटी की रैंक हासिल करना आसान नहीं होगा। निकायों को धरातल पर असाधारण प्रदर्शन करना होगा। दिशा-निर्देशों पर पर्याप्त अमल के साथ जनता की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी इसमें अहम भूमिका निभाएंगी।

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    सरकार ने नीति लागू करने के बाद अब रैंकिंग के मानक भी तय कर दिए हैं। हरित आवरण में वृद्धि और योजना के प्रभाव के आकलन के लिए तीन स्तरीय मानीटरिंग की जाएगी। इसमें ग्रीन ट्रिपल प्लस यानी अल्टीमेट ग्रीन शहर, उनको चुना जाएगा जो हरित आवरण में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करेंगे और ग्रीन सिटी मानीटरिंग (जीसीएम) में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करेंगे।

    पर्यावरण संरक्षण के लिए योगी सरकार ने 20 जून को शहरी हरित नीति को स्वीकृति दी है। इसके तहत शहरों में बनेंगे मियावाकी फारेस्ट, वर्टिकल गार्डन और पार्क विकसित किए जाएंगे। पहले चरण में वर्ष 2025 से 2027 तक स्मार्ट शहरों और प्रमुख महानगरों में काम किया जाएगा।

    वर्ष 2027 से 2030 तक दूसरे चरण में नीति में निकायों को शामिल किया जाएगा, जिनकी जनसंख्या एक लाख से अधिक है। वर्ष 2030 के बाद तीसरे चरण में ये नीति पूरे राज्य की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में लागू की जाएगी।

    इसके तहत पर्यावरण संरक्षण को शहर, मुहल्ला और भवन स्तर पर हरित पहलों को बढ़ावा दिया जाएगा। शहरी क्षेत्र में मियावाकी पद्धति से घने मिनी वनों का विकास होगा। ग्रीन बेल्ट, निम्न-उत्सर्जन क्षेत्र, स्पांज पार्क बनाए जाएंगे।

    मुहल्ला स्तर पर पाकिट पार्क, सामुदायिक बगीचे और पार्क गोद देने का काम होगा। शहरों को उनके प्रदर्शन के आधार पर ग्रीन, ग्रीन प्लस, ग्रीन डबल प्लस और ग्रीन ट्रिपल प्लस की श्रेणी में बांटा जाएगा, जो शहर न्यूनतम मापदंडों को भी पूरा नहीं करेगें वो अपात्र शहरों की श्रेणी में रखे जाएंगे।

    ग्रीन सिटी रैंकिंग के लिए तय किए मानकों के अनुसार नगरीय निकाय सीमा के अंदर हरित आवरण में 12 से 18 प्रतिशत की वृद्धि करने वालेे और जीसीएम में 50 से 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले शहरों को ग्रीन शहर माना जाएगा। हरित आवरण में 18 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि करने के साथ जीसीएम में 60 से 70 प्रतिशत अंक पाने वालों को शहरों को ग्रीन प्लस रैंक मिलेगी।

    ग्रीन डबल प्लस शहर बनने के लिए हरित आवरण में 20 से 25 प्रतिशत तक की वृद्धि और जीसीएम में 70 से 80 प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य होगा। वहीं ग्रीन ट्रिपल प्लस यानी अल्टीमेट ग्रीन सिटी बनने के लिए जीसीएम में 80 प्रतिशत से अधिक अंक और हरित आवरण में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करना अनिवार्य होगा।

    रैकिंग के लिए निकायों में विस्तृत जीसीएम प्रणाली लागू ही जा रही है। इसमें स्थानीय व राज्य स्तर और तीसरे पक्ष की एजेंसियों द्वारा शहरी हरियाली की प्रभावशीलता को मापा जाएगा। इसके माध्यम से उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं की वार्षिक और त्रैमासिक रिपोर्ट प्रेषित की जाएंगी।

    इन रिपोर्टों के आधार पर आंतरिक समिति द्वारा त्रैमासिक और थर्ड पार्टी मूल्यांकनकर्ता द्वारा वार्षिक मूल्यांकन किया जाएगा। मूल्यांकनों के आधार पर ही शहरों को रैंक दी जाएगी।

    नागरिकों की राय को बनेगा फीडबैक लूप

    अल्टीमेट ग्रीन सिटी की घोषणा से पहले निकाय के निवासियों, स्थानीय प्राधिकरणों और अन्य हितधारकों से इनपुट एकत्र करने के लिए एक फीडबैक लूप स्थापित किया जाएगा। इस फीडबैक लूप के माध्यम से निवासी और हितधारक अपने विचार और सुझाव साझा कर सकेंगे।