सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे शिक्षक! TET की अनिवार्यता पर बड़ा बवाल; PMO को भेजे 2.50 लाख पत्र
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है। टीईटी अनिवार्य होने से शिक्षकों में आक्रोश है। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। संघ ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का भी आग्रह किया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य करने के आदेश के बाद प्रदेशभर में शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। आदेश के अनुसार, अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना अनिवार्य होगा, अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। इस फैसले से असंतुष्ट शिक्षकों ने विरोध तेज कर दिया है।
रविवार को हजरतगंज संघ कार्यालय में बैठक कर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने सरकार से अपील की है कि वह शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की जिम्मेदारी ले और अव्यवहारिक आदेश के खिलाफ स्वयं सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार सकारात्मक पहल नहीं करती है तो शिक्षक संगठन के बैनर तले सड़कों पर संघर्ष भी करेंगे और कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे। इसके साथ ही 20 सितंबर तक पूरे देश में प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजा जा रहा है।
10 सितंबर से पीएमओ को पत्र भेजने का अभियान चल रहा है। अब तक कुल 2,50,453 पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भेजे जा चुके हैं। लक्ष्य 20 सितंबर तक पांच लाख पत्र भेजने का है। प्रमुख मांग है कि 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाए।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि टीईटी थोपने के कारण शिक्षकों में गहरा आक्रोश है। 55 साल की उम्र में शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं या खुद परीक्षा की तैयारी करें, यह अन्याय है।
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