स्थानांतरण रद! शिक्षकों को फिर पुरानी तैनाती पर लौटने का आदेश, यूपी में विभाग का U-Turn क्यों?
लखनऊ में बेसिक शिक्षा परिषद के आदेशों में विरोधाभास देखने को मिला है जिसमें शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर पहले कार्यमुक्त किया गया और फिर वापस मूल विद्यालय में लौटने को कहा गया। अधिकारियों का कहना है कि इससे छात्र-शिक्षक अनुपात प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों ने सवाल उठाया कि उन्हें सरप्लस घोषित करने के बाद रोका क्यों गया। सचिव ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण और समायोजन को लेकर जारी आदेशों में विरोधाभास सामने आया है। कुछ जिलों में शिक्षकों को स्थानांतरण के बाद कार्यमुक्त कर नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए, लेकिन अब इन्हीं आदेशों को निरस्त कर उन्हें फिर से अपने मूल विद्यालय में लौटने को कहा गया है।
जिला स्तर पर विभागीय अधिकारियों ने पत्र जारी करके कहा है कि स्वेच्छा से किए गए स्थानांतरणों के चलते कुछ विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात प्रभावित हुआ है। यह निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के मानकों के खिलाफ है।
ऐसे में संबंधित सभी शिक्षकों को पुराने विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि पहले उन्हें एकल विद्यालयों से सरप्लस घोषित किया गया, फिर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अन्य पदों पर आवेदन करने का विकल्प दिया गया।
स्थानांतरण आदेश भी जारी हुए, लेकिन बाद में यह कहकर कार्यमुक्त नहीं किया गया कि विद्यालय बंद हो जाएगा। शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि यदि विद्यालय उनके जाने से बंद हो सकता था तो उन्हें सरप्लस क्यों घोषित किया गया? और यदि सरप्लस घोषित किया गया, तो कार्यमुक्त कर नई जगह भेजने से रोका क्यों गया? इस विषय में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी का कहना है कि इस मामले की जांच कराएंगे। इसके बाद स्थिति का पता चलेगा।
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