UP के बच्चों में भयानक कुपोषण! चित्रकूट देश में तीसरे नंबर पर, आंगनबाड़ी केंद्रों में 50% से अधिक बच्चे बौने
34 जिलों में आंगनबाड़ी केंद्रों के 50% से ज्यादा बच्चे बौनेपन से पीड़ित हैं। चित्रकूट जिला इस मामले में देश में तीसरे स्थान पर है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र का नंदुरबार जिला सबसे ऊपर है। राज्य सरकार ने कुपोषण कम करने के लिए संभव अभियान चलाया है जिसके सकारात्मक परिणाम दिखे हैं फिर भी कई जिलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

अमित यादव, लखनऊ। आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित उत्तर प्रदेश के 34 जिलों के जीरो से पांच साल के बच्चे बौनेपन के शिकार हैं। इन जिलों में बौनेपन का स्तर 50 फीसदी से ऊपर है। प्रदेश का चित्रकूट जिला 59.58 प्रतिशत बच्चों के साथ देश में तीसरे नंबर है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय विभाग की राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने संसद में 25 जुलाई को बिहार से सीपीआई के सांसद सुदामा प्रसाद और टीडीपी के सांसद श्रीभरत मथुकुमिलि के सवालों के जवाब में जो जानकारी दी उसमें ये खुलासा हुआ है।
केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर ने संसद में जो रिपोर्ट पेश की है उसके अनुसार बौनेपन से प्रभावित देश के भर के 63 जिलों में से पहले नंबर पर महाराष्ट्र का नंदुरबार जिला 68.12 प्रतिशत और झारखंड का पश्चिम सिंहभूम जिला 59.48 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने अपने जवाब में बताया है कि जून 2025 तक आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर पर देश भर के 7.36 करोड़ बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से सात करोड़ बच्चों की लंबाई और वजन का डाटा लिया गया। इस डाटा में देश भर के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 63 जिलों में 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे बौनेपन के शिकार मिले हैं। चिंता का बात ये है कि 63 में से 34 जिले उत्तर प्रदेश के हैं।
ये है दावा
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने हाल ही एक रिपोर्ट में दावा किया था कि प्रदेश में बच्चों में आयरन, एनीमिया और कुपोषण की दर में कमी दर्ज की गयी है। एनएफएचएस-5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5) की मई-25 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2019-21 के मुकाबले वर्ष 25 में तीव्र कुपोषण में 4 प्रतिशत और अल्पवजन बच्चों की दर में 20 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है।
संभव अभियान 4.0 के तहत प्रदेश के 0-6 वर्ष के बच्चों में कुपोषण की स्थिति पर निगरानी की गई, जिससे वर्ष 2019-21 के एनएफएचएस-5 आँकड़ों के अनुसार में तीव्र कुपोषण (wasting)की दर 17.3% थी, जो मई-25 तक पोषण ट्रेकर के अनुसार घटकर 4 प्रतिशत रह गयी है।
इसी तरह वर्ष 2019-21 में अल्पवजन बच्चों की दर 34.5 प्रतिशत थी, जो मई 2025 तक पोषण ट्रेकर की रिपोर्ट के अनुसार घटकर 20.0 प्रतिशत रह गई है। निदेशक के अनुसार संभव अभियान की सफलता को देखते हुए सरकार ने 7 जुलाई को संभव अभियान 5.0 की शुरुआत की है।
इन जिलों का भी हाल बुरा
हापुड़, मुजफ्फरनगर, सोनभद्र, मीरजापुर, फर्रुखाबाद, उन्नाव, कौशांबी, मैनपुरी, सुलतानपुर, गाजीपुर, बाराबंकी, पीलीभीत, बदायूं, प्रतापगढ़, गोंडा, सिद्ार्थनगर, हरदोई, फतेहपुर, आगरा, ललितपुर, महोबा, लखनऊ, रायबरेली, मुरादाबाद
ये हैं टॉप दस जिले
जिला | बौनापन (%) | कम वजन (%) | तीव्र कुपोषित (%) |
---|---|---|---|
चित्रकूट | 59.44 | 29.14 | 7.20 |
बांदा | 59.33 | 29.60 | 5.38 |
संभल | 56.79 | 22.93 | 4.37 |
फिरोजाबाद | 56.37 | 20.66 | 3.84 |
जौनपुर | 54.89 | 22.54 | 5.63 |
हमीरपुर | 54.72 | 24.43 | 6.16 |
बरेली | 54.49 | 20.15 | 3.38 |
अमरोहा | 53.76 | 23.99 | 5.68 |
सीतापुर | 53.58 | 19.51 | 4.03 |
एटा | 53.47 | 19.50 | 3.39 |
(नोट- सभी आंकड़े प्रतिशत में हैं।)
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