यूपी में खेल परियोजनाएं के अधूरे रहने से कट गए खिलाड़ियों के पंख, नहीं ले पा रहे प्रतियोगिताओं में हिस्सा
उत्तर प्रदेश में खेल संघों के विवादों के कारण कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाए। सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राज्य में खेल नीति का अभाव है जिसके चलते खेल परियोजनाएं अधूरी हैं और संसाधनों का सही उपयोग नहीं हो रहा। सीएजी ने खेल सुविधाओं के निर्माण रखरखाव और खेल संघों के बीच समन्वय में सुधार की सिफारिश की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। खेल संघों के विवाद और समन्वय की कमी ने उत्तर प्रदेश में खेल प्रतिभाओं के सपनों को पंख लगने से पहले ही काट दिया। भारत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की मार्च 2022 तक की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य खेल विभाग के शिविरों में 5,450 खिलाड़ी नामांकित थे, लेकिन वे राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ही नहीं ले सके।
वजह संघों के झगड़े और टीम चयन न होना।रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम 2016-22 के बीच तदर्थ और बिना ठोस नीति के थे। राज्य खेल नीति ही नहीं बनी, प्राथमिकताएं तय नहीं हुईं और बजटीय संसाधनों का तर्कसंगत आवंटन नहीं किया गया।
परिणामस्वरूप, कई खेल परियोजनाएं अधूरी पड़ी रहीं, जबकि भारी निवेश के बाद बनी कई खेल अवस्थापनाएं अनुपयोगी हो गईं। मार्च 2022 तक प्रदेश के 34 खेल संघों ने सरकार के दिशा-निर्देश मान लिए थे। इनमें से सिर्फ 16 संघों ने ही खेल विभाग को पदाधिकारियों की सूची दी।
वर्ष 2016 से 2022 तक सिर्फ पांच संघों (बैडमिंटन, हाकी, जूडो, हैंडबाल और भारोत्तोलन) को ही 20.24 करोड़ की वित्तीय सहायता दी गई। चार संघों उत्तर प्रदेश पावर लिफ्टिंग महासंघ लखनऊ, कानपुर, उत्तर प्रदेश नेटबाल महासंघ गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो महासंघ लखनऊ, उत्तर प्रदेश शूटिंग बाल महासंघ मेरठ ये चार राज्य खेल संघों में विवाद के चलते प्रतियोगिताएं आयोजित ही नहीं हुईं और टीमें राष्ट्रीय स्तर पर नहीं भेजी गईं।
सीएजी ने प्रदेश में खेलों को लेकर अपनी सिफारिशें भी सरकार को दी हैं, जिसमें कहा गया है कि खेल सुविधाओं का निर्माण जरूरत और सर्वेक्षण के आधार पर हो, जिम्मेदारी तय की जाए। उपकरणों और सुविधाओं का समय पर रखरखाव और मरम्मत सुनिश्चित हो। निर्माण एजेंसियों के साथ समझौते पारदर्शी हों और समयबद्धता तय हो। प्रशिक्षकों व फिजियोथेरेपिस्ट की नियुक्ति की जाए।
खिलाड़ियों की प्रगति पर निगरानी के लिए डाटाबेस तैयार हो। हर जिले में शिकायत निवारण तंत्र हो। डोपिंग के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाए। खेल संघों और विभाग के बीच समन्वय बेहतर किया जाए।
सीएजी की रिपोर्ट साफ इशारा करती है कि नीति और व्यवस्था की कमी के चलते उत्तर प्रदेश की खेल प्रतिभाएं मंच तक नहीं पहुंच पा रहीं। शासन ने जुलाई 2023 में माना भी कि खेल संघों और विभाग के बीच बेहतर तालमेल के लिए कदम उठाए जाएंगे।
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