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    UP News: सरकारी न होने पर अब निजी चिकित्सक भी बुलाए जा सकेंगे दिव्यांग परीक्षण शिविरों में

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 08:47 PM (IST)

    लखनऊ दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बनाने में अब निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जाएंगी क्योंकि सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों की कमी है। राज्य सलाहकार बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके अलावा स्कूलों में दिव्यांग बच्चों का सर्वे करने सार्वजनिक भवनों को दिव्यांग अनुकूल बनाने और नौकरियों में आरक्षण का बैकलॉग पूरा करने के भी निर्देश दिए गए।

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    सरकारी न होने पर अब निजी चिकित्सक भी बुलाए जा सकेंगे दिव्यांग परीक्षण शिविरों में।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दिव्यांगों के प्रमाण पत्र बनाने में आ रही विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता की मुश्किल अब हल होगी। सरकारी अस्पताल में किसी रोग से संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सक न होने पर दिव्यांग परीक्षण शिविरों में निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जा सकेंगीं।

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    प्रमाण पत्र बनने का काम लंबित होने की शिकायतों के के निदान के लिए उप्र राज्य सलाहकार बोर्ड की छठवीं बैठक में यह निर्णय लिया गया है।

    विभाग अब निर्णय पर अमल के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ाएगा। दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नरेंद्र कश्यप ने कहा कि स्कूलों के विलय के दौरान दिव्यांग बच्चों का सर्वे किया जाए और उनके आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।

    मंगलवार को योजना भवन में हुई बैठक में निर्देश दिए गए कि सार्वजनिक भवनों आदि और सरकारी वेबसाइटों को दिव्यांगजन अनुकूल बनाया जाए। बताया गया कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के 278 भवनों में से 271 भवनों और आइटी एवं इलेक्ट्रानिक विभाग द्वारा अब तक 44 वेबसाइटों को अनुकूल बनाया जा चुका है।

    बोर्ड ने माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग को दिव्यांगों के लिए प्रवेश में आरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। प्रदेश के दो दिव्यांग विश्वविद्यालयों की तरह सभी विवि को दिव्यांगजन अनुकूल बनाने के भी निर्देश दिए।

    बैठक में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने कहा कि रोडवेज बसों में दिव्यांगों को चढ़ने-उतरने में चालक-परिचालक द्वारा सहायता दी जाए, चुनिंदा रूट पर चार से अधिक सीटें आरक्षित करने को भी कहा गया। विकास प्राधिकरणों और औद्योगिक क्षेत्रों में दिव्यांगजन को प्राथमिकता दी जाए। सभी विभाग नौकरियों में दिव्यांगों को पांच प्रतिशत आरक्षण के बैकलाग पर जल्द कोटा पूरा करें।

    बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक 15,50,496 यूडीआइडी कार्ड जारी किए जा चुके हैं।

    कई जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सक न होने के कारण प्रमाण पत्र बनाने में देरी होने के मामले आए थे, इसके चलते ही शिविरों में निजी चिकित्सको को भी शामिल करने पर सहमति बनी हैे। चालू वित्तीय वर्ष में 10.41 लाख दिव्यांगों को पेंशन भेजी जा चुकी है। कुष्ठावस्था पेंशन योजना में 11,671 लाभार्थियों को लाभ मिला है।

    दिव्यांगों को 10,229 उपकरण वितरित किए गए हैं। 165 दिव्यांगजन को शल्य चिकित्सा अनुदान दिया गया है। राज्य में 18 बचपन डे-केयर केंद्र संचालित हो रहे हैं। बोर्ड की बैठक में विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव सुभाष चंद्र शर्मा, राज्य आयुक्त दिव्यांगजन प्रो. हिमांशु शेखर झा आदि सदस्य मौजूद रहे।