बिजली कंपनियों का निजीकरण या भ्रष्टाचार का नया खेल? चौंकाने वाली रिपोर्ट; प्रबंधन से इस्तीफा की मांग
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार न होने पर पावर कारपोरेशन प्रबंधन से इस्तीफे की मांग की है। परिषद ने आरडीएसएस योजनाओं में अधिक दरों पर टेंडर देने और स्मार्ट प्रीपेट मीटर योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में उतर आए हैं और जेल भरो आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि निजीकरण में भ्रष्टाचार हो रहा है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी यदि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार नहीं दिख रहा है तो इसके लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन जिम्मेदार है। सुधार नहीं दिख रहा है तो प्रबंधन इस्तीफा दे।
परिषद ने कहा है कि पूर्व में बैठकों के दौरान लगातार कीर्तिमान स्थापित करने वाले प्रबंधन को जब बिजली कंपनियों के निजीकरण का समय आया है तो उसे कोई सुधार नहीं दिख रहा है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि जब आरडीएसएस योजनाओं के काम का टेंडर 40 से 45 प्रतिशत अधिक दरों पर दिया जा रहा था उस समय विरोध के बावजूद प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया।
स्मार्ट प्रीपेट मीटर योजना जिसके लिए भारत सरकार ने 18,885 करोड़ रुपये अनुमोदित किया था बिजली कंपनियों ने उस काम को 27,342 करोड़ रुपये में दिया। विरोध के बाद भी करीब 8,500 करोड़ रुपये अधिक का टेंडर दिया गया।
अब पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष समीक्षा बैठक में यह स्वीकार कर रहे हैं कि बहुत बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी सुधार नहीं हुआ। सवाल किया है कि निजीकरण के लिए कहीं पावर कारपोरेशन प्रबंधन यह कहानी तो नहीं गढ़ रहा है।सुधार नहीं होने की बात इसलिए तो नहीं की जा रही है जिससे कम लागत पर बिजली कंपनियों का निजीकरण कर दिया जाए, इसकी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा है कि आरडीएसएस से करीब 44,094 करोड़ रुपये की योजनाएं हों अथवा बिजनेस प्लान से 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये की योजनाओं के काम का मामला हो उपभोक्ता परिषद ने हर बार प्रबंधन को आगाह करने का काम किया था।
जेल जाने वालों की सूची में नाम दर्ज करा रहे हैं बिजलीकर्मी
उधर, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजलीकर्मियों ने शनिवार को निजीकरण के विरोध में दिनभर काली पट्टी बांधी और विरोध दिवस मनाया। निजीकरण से उपभोक्ताओं को होने वाले लाभ से संबंधित विज्ञापन के विरोध में प्रदेश के सभी जिलों और विद्युत परियोजना मुख्यालयों पर विरोध दिवस मनाया गया।
संघर्ष समिति पदाधिकारियों ने कहा है कि निजीकरण का टेंडर होने पर जेल भरो आंदोलन की तैयारी के तहत शनिवार को सभी जिलों और परियोजनाओं पर स्वेच्छा से जेल जाने वाले बिजली कर्मियों ने सूची में अपना लिखवाया।
संघर्ष समिति ने कहा है कि ऊर्जा निगमों का प्रबंध करने में जो आइएएस अधिकारी विफल हो चुके हैं उन्हीं आइएएस अधिकारियों से निजीकरण के सफल प्रयोग की उम्मीद कैसे की जा सकती है। निजीकरण की सारी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार है।
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