UP News: दाखिल-खारिज में अब देरी नहीं, 45 दिन में निस्तारण अनिवार्य, जिम्मेदारी डीएम-आयुक्त पर तय
राजस्व विभाग ने संपत्ति दाखिल खारिज मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए नई व्यवस्था बनाई है। अब देरी होने पर मंडलायुक्त और जिलाधिकारी जिम्मेदार होंगे। अविवादित मामलों में 45 दिन में नामांतरण होगा जबकि विवादित मामलों में 90 दिन में निर्णय लेना होगा। यह व्यवस्था हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद लागू की गई है। प्रमुख सचिव ने शासनादेश जारी कर दिया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राजस्व विभाग ने संपत्तियों के दाखिल खारिज के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए नई व्यवस्था बनाई है। इसके तहत अब संपत्तियों के दाखिल खारिज में देरी पर मंडलायुक्त के साथ-साथ संबंधित जिलाधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
साथ ही राजस्व संहिता के अनुसार गैर विवादित मामलों में 45 दिन नामांतरण करना होगा। विवादित मामलों में 90 दिनों में संबंधित अधिकारियों को निर्णय लेना होगा। दाखिल खारिज के मामलों में देरी पर हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद राजस्व विभाग ने यह व्यवस्था बनाई है। प्रमुख सचिव पी गुरुप्रसाद ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है।
शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि राजस्व संहिता-2006 की धारा 34/35 के तहत अंतरण मामलों में अविवादित नामांमरण का वाद 45 दिनों और विवादित होने पर 90 दिनों में निस्तारित नहीं किए जा रहे हैं। इसके चलते हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हो रही हैं। इसलिए धारा-34 के अंतर्गत प्राप्त, लेकिन पंजीकरण के लिए लटके मामलों का आरसीसीएमएस पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराया जाएगा।
प्रार्थना पत्रों को लंबित रखने वाले कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। मंडलायुक्त और जिलाधिकारी अपने स्तर से कार्ययोजना बनाकर नामांतरण के लिए लंबित मामलों को देखेंगे। वादों के समय से निस्तारित कराने के लिए समीक्षा की जाएगी।
मंडलायुक्त व जिलाधिकारी तहसीलों के पीठासीन अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश देंगे। निर्देश को न मानने वाले पीठासीन अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने संबंधी प्रस्ताव शासन के साथ राजस्व परिषद को उपलब्ध कराया जाएगा।
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