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    Lucknow News: बाघ पकड़ने की 90 लाख की उधारी के बीच आ टपका तेंदुआ, संसाधन जुटाना हो रहा मुश्किल

    Leopard In Lucknow तेंदुआ पकड़ने में संसाधन की कमी सामने आ सकती है। इस बार वन विभाग को उधार में मदद मिलने से रही पिछले दिनों बाघ को पकड़ने के लिए तीन माह के अभियान में खर्च हुए 90 लाख का भुगतान नहीं हो पाया है। वन विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि तेंदुआ पकड़ने के लिए डंडा लेकर किसी को मैदान में नहीं उतारा जा सकता है।

    By Ajay Srivastava Edited By: Dharmendra Pandey Updated: Thu, 28 Aug 2025 12:22 PM (IST)
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    तेंदुआ की तलाश में वन विभाग की टीम, तीन माह में पकड़ा गया था बाघ

    अजय श्रीवास्तव, जागरण लखनऊ : काकोरी के रहमान खेड़ा में तेंदुआ टहल रहा है। बछिया का शिकार भी कर लिया है। इस बार वन विभाग के सामने तेंदुआ को पकड़ने की बडी चुनौती है, क्योंकि इस बार तेंदुआ घने वन क्षेत्र वाले रहमान खेड़ा में है। जहां नीलगाय व चीतल होने से पर्याप्त भोजन का प्रबंध है तो दूसरा बेहता नाले का पानी उसकी प्यास को बुझाएगा। ऐसे में उसे पकड़ना आसान नहीं है। किसी वन्यजीव के लिए इतना प्रबंध होना पयार्प्त होता है, यही कारण है कि 2012 में बाघ 100 दिन से अधिक समय रहा था और पिछले दिनों आए बाघ ने भी तीन माह का समय रहमान खेड़ा में बिताया था। उसने किसी इंसान पर भी हमला नहीं किया था।

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    इस बार तेंदुआ पकड़ने में संसाधन की कमी सामने आ सकती है। कारण यह है कि इस बार वन विभाग को उधार में मदद मिलने से रही, क्योंकि पिछले दिनों बाघ को पकड़ने के लिए तीन माह के अभियान में खर्च हुए 90 लाख का भुगतान नहीं हो पाया है। वन विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि तेंदुआ पकड़ने के लिए डंडा लेकर किसी को मैदान में नहीं उतारा जा सकता है। डीएफओ वन्यजीव सितांशु पांडेय ने बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव व अन्य उच्च अधिकारियों से बाघ पकडऩे के लिए अभियान में खर्च रकम का भुगतान करने को कहा गया, जिससे उधारी को निपटाया जा सके।

    थर्मल डेन से लेकर बाघ पकड़ने वाली टीम के भोजन और उपकरण का इंतजाम कराने वाले भुगतान की दौड़ लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ कई दिनों रहने वाली दो हथिनियों के ऊपर हुए खर्च का बिल भी वन विभाग में अभी लंबित है। बाघ पकड़ने के अभियान के दौरान भुगतान न होने पर तब राज्य कृषि प्रबंध संस्थान ने गेस्ट हाउस को खाली करने को कहा था, फिर वन विभाग ने किसी तरह ढाई लाख रुपये रकम जमा कर कुछ दिनों की मोहलत मांगी थी।

    12 दिसंबर से पांच मार्च तक चला अभियान

    बाघ को पकड़ने का अभियान में पिछले साल 12 दिसंबर से पांच मार्च तक चला था। इस दौरान तमाम विशेषज्ञों की टीम के साथ ही करीब 100 से अधिक कर्मचारियों का हर दिन नाश्ते और भोजन का इंतजाम किया जाता था। इसमें थर्मल डेन का किराया ही हर दिन पांच हजार के आसपास था। इसके अलावा एलइडी डेन सर्च लाइट, सर्च लाइट फौजी, सीसी कैमरा सोलर विद वाइफाइ राउटर, ट्रैप कैमरा, पावर बैंक, ड्रोन कैमरा, लैपटाप, कलर प्रिंटर को भी खरीदा गया था। दुधवा से बुलाई गई दो हथिनी पर भी कई लाख का खर्च आया था। अभियान में 90 लाख का खर्च आंका गया था लेकिन वन विभाग ने 11.80 लाख का ही बजट जारी कर पाया है।

    बाघ पकड़ने आई टीम ने दबोचा था तेंदुआ

    पारा में बीती 13 फरवरी को बरात आने के समय एक तेंदुआ आ गया था और कई पर हमला कर दिया था। लोग कमरों में दुबक गए थे। उसे कई घंटे की मेहनत के बाद तब पकड़ा गया था, क्योंकि तब बाघ पकड़ने के लिए आई विशेषज्ञों की टीम उपकरणों के साथ मौजूद थी, जबकि अभी ऐसा कुछ नहीं है। वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि अगर उस समय बाघ पकड़ने के लिए उपलब्ध संसाधन नहीं होते तो तेंदुआ को इतनी जल्दी न पकड़ा जाता है और बरातियों के साथ बड़ा हादसा हो सकता था।