ISRO का मेगा प्लान! भारत बनाएगा खुद का स्पेस स्टेशन, चांद पर भेजेगा अंतरिक्ष यात्री
लखनऊ में इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि भारत अब 75 हजार किलोग्राम तक के सैटेलाइट लॉन्च करने वाले राकेट पर काम कर रहा है। इसरो का लक्ष्य अपना स्पेस स्टेशन बनाना और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर पहुंचाना है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को कृषि और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में लाभकारी बताया। उन्होंने बेहतर तकनीक विकसित करने का अनुरोध किया।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। एक दौर था जब राकेट साइकिल पर लादकर ले जाए जाते थे, लेकिन आज भारत नए कीर्तिमान रच रहा है। अब देश ऐसे राकेट पर काम कर रहा है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा (लोअर आर्बिट) में 75 हजार किलोग्राम तक के सैटेलाइट लांच कर सकेगा। इसरो का अगला बड़ा लक्ष्य अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह तक पहुंचाना है।
यह बात इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चेयरमैन और अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार के सचिव डा. वी. नारायणन ने सोमवार को लखनऊ में कही।
वे ‘विकसित भारत 2047 के निर्माण में उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। आयोजन योजना भवन में इसरो, अंतरिक्ष विभाग भारत सरकार और उत्तर प्रदेश के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की ओर से किया गया।
डा. नारायणन ने बताया कि भारत ने वर्ष 1963 में पहला राकेट लांच किया था और तब से अब तक 100 से अधिक राकेट प्रक्षेपण कर चुका है। 1975 तक भारत के पास कोई सैटेलाइट नहीं था, लेकिन आज हमारे पास 131 सक्रिय उपग्रह हैं, जो देश की रक्षा, संचार, कृषि, आपदा प्रबंधन और विकास में मदद कर रहे हैं।
अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि कृषि, सिंचाई, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, वन और खनन जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी बेहद लाभकारी है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी विभागों को सेटेलाइट डेटा तक त्वरित और सटीक पहुंच मिलनी चाहिए, ताकि योजनाएं बेहतर ढंग से लागू हो सकें।
उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों से बिजली गिरने और वर्षा की पूर्व चेतावनी देने वाली तकनीक विकसित करने का भी अनुरोध किया, जिससे किसानों और आम जनता को समय पर सतर्क किया जा सके। उन्होंने अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे की भविष्य की जरूरतों पर आधारित रिपोर्ट का विमोचन भी किया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव पंधारी यादव ने कहा कि रिमोट सेंसिंग तकनीक का कृषि, उद्यान, सिंचाई और वन विभाग समेत कई विभाग लाभ उठा रहे हैं।
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के निदेशक डा. प्रकाश चौहान ने बताया कि किस तरह अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन में हो रहा है। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, प्रमुख सचिव रणवीर प्रसाद समेत विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक उपस्थित रहे।
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