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    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में एक्सरे टेक्नीशियन नियुक्ति में घोटाला, जांच के बाद होगी कड़ी कार्रवाई

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 10:32 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत बिजनौर अमरोहा और बागपत में एक्स-रे टेक्नीशियन के पदों पर गलत नियुक्तियों का मामला सामने आया है। नियमों के अनुसार डिप्लोमा धारकों की जगह डिग्री वालों को नौकरी दी गई। भारत सरकार ने एनएचएम निदेशक से अनियमितताओं की जांच करने को कहा है। एनएचएम के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

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    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में एक्सरे टेक्नीशियन नियुक्ति की होगी जांच।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत बिजनौर, अमरोहा, बागपत में ऐसे आठ लोगों की संविदा पर नियुक्ति कर दी गई, जिनकी शैक्षिक योग्यता उस पद के लिए नहीं थी। नियमानुसार एक्स-रे टेक्नीशियन पद के लिए स्टेट मेडिकल फैकल्टी से दो साल का डिप्लोमा होना चाहिए।

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    लेकिन नियुक्ति ऐसे लोगों की कर दी गई, जिन्होंने बैचलर रेडियोलाजी टेक्नीशियन पाठ्यक्रम किया है। इन भर्तियों के मामले में अवर सचिव भारत सरकार आशुतोष कुमार अग्रवाल ने एनएचएम निदेशक से नियुक्तियों में अनियमितता की जांच के लिए कहा है।

    एक्स-रे टेक्निशियन की स्थाई की तरह ही संविदा भर्ती में भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मनमानी की है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल स्तर पर एक्स-रे टेक्नीशियन की भर्ती के लिए दो साल का डिप्लोमा चाहिए। यह डिप्लोमा प्रदेश में सिर्फ स्टेट मेडिकल फैकल्टी ही संचालित करती है।

    इसके बावजूद बिजनौर, अमरोहा, बागपत में 2012-13 में बैचलर रेडियोलाजी टेक्नीशियन डिग्री वालों को नियुक्ति दे दी गई। इसकी शिकायत एनएचएम निदेशक से हुई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जबकि एक्स-रे टेक्नीशियन सेवा नियमावली 1986 के अनुसार एक्स-रे टेक्नीशियन पद की शैक्षिक योग्यता दो वर्षीय डिप्लोमा है।

    स्थिति यह है कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य ने भी 25 जून 2023 को लिखे पत्र और स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने पांच जून 2023 के पत्र के माध्यम से एक्स-रे टेक्नीशियन पद के लिए दो साल का डिप्लोमा शैक्षिक योग्यता को ही सही माना है।

    जन सूचना अधिनियम 2005 के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने भी स्पष्ट किया है कि एक्स-रे टेक्नीशियन पद की शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा ही है। इसके बावजूद संविदा नियुक्तियों में डिग्री पाठ्यक्रम वालों को नौकरी दे दी गई।

    इस मामले भारत सरकार के अवर सचिव पत्र के बाद एनएचएम ने शपथ पत्र पर शिकायत मांगी है। एनएचएम महाप्रबंधक डा़ अमित कुमार ओझा का कहना है कि इस मामले की जानकारी उनके पास नहीं है। मानव संसाधन विभाग से जानकारी मिलने पर ही कुछ कहा जा सकता है।