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    यूपी के 539 बाढ़ प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य चौकियां स्थापित, पीड़ितों को 24x7 मिलेगी सहायता

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 03:07 PM (IST)

    लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए अधिकारियों को सतर्क किया है। 539 गांवों में बाढ़ चौकियां स्थापित करने प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात करने और नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। संवेदनशील स्वास्थ्य केंद्रों पर नियंत्रण कक्ष स्थापित करने और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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    बाढ़ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिकारियों को फिर से किया अलर्ट।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं चाक चौबंद करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फिर से अलर्ट किया गया है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करते हुए बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले 539 गांवों में बाढ़ चौकियां स्थापित कराएं।

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    चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित कर तैनात करें। बाढ़ क्षेत्रों में स्वास्थ्य से संबंधित व्यवस्थाओं के लिए नोडल अधिकारी तैनात किए जाएं।

    गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 27 जून को बाढ़ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे।

    अब उन्होंने एक बार फिर से सभी मंडलीय अपर निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के साथ ही प्रमुख, मुख्य और प्रभारी चिकित्सा अधीक्षकों को बाढ़ प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सेवा से संबंधित समस्त निर्देशों का अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं।

    निर्देशित किया है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के लिए जरूरत के मुताबिक चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करते हुए तैनात किया जाए। बाढ़ क्षेत्रों की संवेदनशील प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दिए जाएं, जिससे बाढ़ प्रभावित लोगों को चिकित्सीय सेवाएं आसानी से मिल सके।

    बाढ़ चौकियों और उपचार केंद्रों पर ब्लीचिंग पाउडर, क्लोरीन टेबलेट, एंटी स्नैक वेनम, डिवार्मिंग टेबलेट के साथ ही मल्टी बिटामिन टेबलेट सहित अन्य जरूरी दवाएं रखी जाएं। गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के उपचार व टीकाकरण का प्रबंधन भी सुनिश्चित किया जाए। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को लगातार जागरूक किया जाए कि वह पानी उबाल कर ही पीएं।