लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने दिया 'अल्टीमेटम', जोनल अधिकारियों को एक हफ्ते में करना होगा ये काम
लखनऊ नगर निगम मुख्यालय में महापौर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार ने संपूर्ण समाधान दिवस पर गृहकर संबंधी शिकायतों की सुनवाई की। अधिकारियों को एक सप्ताह में निस्तारण के निर्देश दिए गए। कई मामलों में खाली प्लाट पर कामर्शियल टैक्स बढ़े गृहकर और पुस्तैनी मकान पर बकाया जैसे मुद्दे उठाए गए। एक व्यक्ति ने तालाब पर नगर निगम के कब्जे की शिकायत भी की।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। नगर निगम मुख्यालय में शुक्रवार को लगे संपूर्ण समाधान दिवस पर महापौर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार ने फरियादियों की शिकायत सुनीं और निस्तारण का आश्वासन दिया।
सभी जोनों के जोनल व कर निर्धारित अधिकारियों की मौजूदगी में महापौर ने कहा कि सभी जोनल अधिकारी सुन लें, एक सप्ताह के अंदर सभी शिकायतों का निस्तारण हो जाना चाहिए। फरियादियों से भी कहा कि यदि एक सप्ताह के अंदर समाधान न हो तो आप मुझसे फिर शिकायत कर सकते हैं। सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक शिविर लगाया गया।
केस-एक
यासीनगंज निवासी सलीम अहमद के पास 1200 वर्ग फीट का प्लाट है। खाली प्लाट का कामर्शियल टैक्स लगाकर नगर निगम जोन-छह के अधिकारियों ने 96,558 का गृहकर भेज दिया। जोन-छह के चक्कर लगा कर थकने के बाद वह संपूर्ण समाधान दिवस में आए।
उनका कहना है कि 2024 से वह दौड़ रहे हैं। पार्षद की ओर से भी खाली प्लाट होने प्रमाण दिया है, नगर निगम के अधिकारियों की ओर से सर्वे का निर्देश दिया गया, लेकिन कोई सुन नहीं रहा है।
केस-दो
चौक के बरौरा हुसैनबाड़ी निवासी रूप नारायण तिवारी की पत्नी बिटाेल तिवारी के नाम से मकान है। उनका कहना है कि 2024 में 2,203 रुपये गृहकर आया था। नगर निगम जोन-दो के अधिकारियों ने बढ़े टैक्स की बात कहकर 10 हजार रुपये जमा करवा लिए।
बोले की आगे इसे समायोजित हो जाएगा। हमारा गृहकर बढ़ाकर छह हजार रुपये प्रति वर्ष हो गया। अधिकारियों ने पिछले 10 हजार को समायोजित करने की बात कही थी, लेकिन न तो उसका समायोजन किया गया और न ही ब्याज की माफ किया जा रहा है। संपूर्ण समाधान दिवस में उन्हें एक बार फिर आश्वासन मिला है।
केस-तीन
निशातगंज निवासी ऊषा गुप्ता का 50 साल से अधिक पुराना पुस्तैनी मकान है। गृहकर बकाए के संशोधन के लिए वह पिछले डेढ़ साल से जोन-चार के चक्कर लगा रही हैं। पहले 30 हजार के करीब गृहकर जमा करतीं थीं। 2023-24 में नगर निगम ने 21.57 लाख का बिल में 7.25 लाख ब्याज जोड़कर मकान सील कर दिया।
दो लाख रुपये जमा किए। तीन बार महापौर से भी मिल चुकी हूं। महापौर ने 2022 से गृहकर का बकाया जमा करने का आदेश दिया। इसके बावजूद कभी 1.18 लाख, 86 हजार और अब 66 हजार बता रहे हैं, लेकिन बिल देने को तैयार नहीं हैं। एक बार फिर आश्वासन मिला है।
केस-चार
काकोरी के सिकरौरी निवासी संजू के गांव में तालाब है, वह वर्षों से तालाब में सिंघाड़ा बोकर जीवन यापन करते हैं। तालाब की जमीन की खतौनी में भी नाम दर्ज है। इसके बावजूद नगर निगम ने तालाब को कब्जे में ले लिया है। बिना मुआवजे के नगर निगम तालाब कैसे ले सकता है?
मेरे बेटे का भी निधन हो गया। अब मेरी कमाई का मुख्य साधन भी छीना जा रहा है। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर और जिला पंचायत की ओर से तालाब संतू व उनके भाइयों के नाम होने की बात कही गई है। जिला अधिकारी से भी गुहार लगाने के बावजूद सुनवाई नहीं हुई।
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