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    फर्जीवाड़ा का खुलासा: पैन ही नहीं, फर्जी आधार से भी हो रही रजिस्ट्री... निबंधन विभाग में सत्यापन की प्रक्रिया नहीं

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 08:37 AM (IST)

    लखनऊ में रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े के मामले बढ़ रहे हैं जहां पैन कार्ड के साथ-साथ फर्जी आधार कार्ड का भी इस्तेमाल हो रहा है। निबंधन विभाग में आधार सत्यापन की प्रक्रिया न होने से जालसाज आसानी से जमीन हड़प रहे हैं। शासन ने पैन कार्ड के सत्यापन को अनिवार्य कर दिया है लेकिन आधार के लिए अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है जिससे फर्जीवाड़े को रोकना मुश्किल हो रहा है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    राजीव बाजपेयी l जागरण लखनऊ। आयकर विभाग की जांच में लखीमपुर सहित नौ जिलों में गलत पैन (पर्मानेंट अकाउंट नंबर) से रजिस्ट्री कराने के मामले सामने आए हैं। रजिस्ट्री के दौरान पैन ही नहीं फर्जी आधार कार्ड भी लगाए जा रहे हैं। लखनऊ में ही फर्जी आधार कार्ड लगाकर गत एक वर्ष में रजिस्ट्री के दो दर्जन मामले सामने आ चुके हैं।

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    चूंकि निबंधन विभाग के पास आधार के सत्यापन की अब तक कोई प्रक्रिया नहीं है, इसलिए जालसाज आसानी से दूसरे को खड़ा करके किसी की भी जमीन हड़प रहे हैं। एक महीने पहले शासन ने पैन कार्ड के सत्यापन की प्रक्रिया तो अनिवार्य कर दी, लेकिन आधार के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक आधार को रजिस्ट्री से लिंक नहीं किया जाएगा तब तक फर्जीवाड़े को रोकना संभव नहीं है। किस तरह फर्जी पहचान पत्र लगाकर रजिस्ट्री हो रही हैं उसका एक उदहारण देखिए।

    पुलिस की जांच में सामने आया मामला

    वाराणसी जेल में बंद शाइन सिटी के निदेशक अमिताभ श्रीवास्तव ने लखनऊ निबंधन कार्यालय आकर रजिस्ट्री कर दी। पुलिस की जांच में सामने आया कि उस दिन अमिताभ वाराणसी जेल से लखनऊ आया ही नहीं था। किसी दूसरे व्यक्ति ने उसकी जगह रजिस्ट्री की थी। एक नहीं इस तरह के दर्जनों मामले पकड़े गए, जिनमें फर्जी पहचान पत्रों और अफसरों की मिलीभगत से रजिस्ट्रियां कर दी गईं। ऐसे ही मामलों को देखते हुए शासन ने निर्णय लिया था कि रजिस्ट्री को आधार से लिंक किया जाएगा, ताकि फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाया जा सके।

    रजिस्ट्री को आधार से लिंक नहीं किया जा सका

    तीन वर्ष बाद भी अब तक रजिस्ट्री को आधार से लिंक नहीं किया जा सका है। हालांकि एक माह पूर्व शासन ने रजिस्ट्री में पैन के सत्यापन को तो अनिवार्य कर दिया, लेकिन आधार का अब तक नहीं हो पाया है। मई 2022 में शासन ने आधार से रजिस्ट्री को लिंक करने के लिए कहा था, दावा था कि आधार से लिंक होने के बाद रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा। लेकिन अब तक निबंधन विभाग की योजना फाइलों में है। पूर्व डीआइजी स्टांप ओपी सिंह का कहना है कि क्रेता-विक्रेता और गवाहों द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर ही रजिस्ट्री की जाती है।

    सत्यापन की प्रक्रिया नहीं

    चूंकि आधार लिंक नहीं है इसलिए सब रजिस्ट्रार के पास सत्यापन की दूसरी प्रक्रिया नहीं है। उनका कहना है कि वैसे भी एक्ट में सब रजिस्ट्रार के पास केवल स्टांप की सही गणना करने की ही जिम्मेदारी है। एआइजी स्टांप रमेश कुमार का कहना है कि आधार से लिंक करने की प्रक्रिया चल रही है। सर्वर और साफ्टवेयर पर काम हो रहा है। जल्द ही आधार से लिंक किया जाएगा। वहीं एडीएम वित्त राकेश कुमार सिंह का कहना है कि जो भी मामले पकड़े जा रहे हैं उन पर कार्रवाई हो
रही है और जल्द ही आधार को लिंक किया जाएगा।

    आधार के सत्यापन की नहीं है प्रक्रिया 

    • मोहनलालगंज में रविवार को गिरफ्तार शारदा तिवारी ने 1980 और 1990 में मृत हो चुके बैजनाथ और लालता के नाम से फर्जी बैनामा करा लिया था।
    • असली मालिक अजय ने जब जमीन बेची और दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया तो फर्जीवाड़े का पता चला।
    • अप्रैल 2025 पूर्व एसडीएम मनोज कुमार की पत्नी योगिता देवी की जमीन फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर दी गई।
    • रजिस्ट्रीं की बात योगिता को तब पता चली जब उनके केयर टेकर ने फोन कर कुछ लोगों द्वारा जमीन पर बाउंड्रीवाल बनाते देखा।
    • अप्रैल 2025 आइटीआइ के पूर्व अधिकारी चंद्र किशोर पांडेय की जमीन भी जालसाजी कर बेची दी गई, जिस दिन चंद्र किशोर की जमीन बेची गई उस दिन वह नोएडा में अपने बेटे के पास थे।
    • भतीजे ने उनको जमीन बेचे जाने की जानकारी दी। 
    • दिसंबर 2024 में मोहरी कला के रामनरेश की जमीन फर्जी महिला को वारिस बनाकर बेची गई।
    • नवंबर 2024 में पीजीआइ क्षेत्र के तेलीबाग निवासी विमला सिंह के मृत पति की जगह किसी जालसाज को खड़ा करके जमीन बेच दी गई।
    • अगस्त 2023 में खरगापुर के नेपाल सिंह की जमीन फर्जी व्यक्ति को खड़ा कर बेची गई। 
    • अगस्त 2023 में मानसनगर निवासी निर्मल किशोर की जमीन को फर्जी व्यक्ति खड़ा कर बेच दी गई।

    रकम लेकर नहीं की रजिस्ट्री, पूर्व एमएलसी के साले पर मुकदमा

    12 वर्ष पहले प्लाट लेने के नाम पर रकम ली, लेकिन रजिस्ट्री नहीं की। पीड़ित ने कोर्ट के मदद से भाजपा नेता व पूर्व एमएलसी के बिल्डर साले के खिलाफ मुकदमा कराया है। अलीगंज निवासी इंदल रावत के मुताबिक वर्ष 2013 में स्काइवे इंफ्रा हाउसिंग प्रा लि. के मालिक सुनील सिंह व पार्टनर राजेश पांडेय से उनके गोमतीनगर स्थित कार्यालय पर मुलाकात हुई थी।

    एक माह पूर्व ही अनिवार्य किया गया पैन कार्ड का सत्यापन

    राजेश पांडेय राज इंफ्रा हाउसिंग प्रा. लि. का मालिक भी है। इंदल के मुताबिक वह पूर्व एमएलसी के साले हैं। वर्तमान में भाजपा के नेता है। वर्ष 2014 में उन्होंने स्काई वे फर्म में पत्नी उर्मिला के नाम व राज फर्म से उन्होंने अपने प्लाट बुक कराया। जिसके बदले में 17.56 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया। कुछ समय बाद राजेश ने कहा कि उसने सुनील की भी फर्म खरीद ली है। ऐसे में दोनों प्लाटों की रजिस्ट्री वह करेंगे। करीब 12 वर्ष बीतने के बाद अभी तक प्लाट की रजिस्ट्री नहीं की गई।